प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और फलदायक व्रत माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, व्रत के दिन गरीबों को अन्न-धन का दान करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत अप्रैल 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि
9 अप्रैल 2025 को रात 10:55 बजे शुरू होगी
इसका समापन 11 अप्रैल 2025 को रात 01:00 बजे होगा।
इस आधार पर, प्रदोष व्रत की तिथि 10 अप्रैल 2025 (गुरुवार) को मानी गई है।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
10 अप्रैल को शाम 06:44 बजे से रात 08:59 बजे तक
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Step-by-Step)
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- सूर्य देव को ताम्र पात्र से जल अर्पित करें।
- घर या मंदिर में शिवलिंग को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से स्नान कराएं।
- शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा, कनेर के फूल, चंदन, धूप-दीप, आदि अर्पित करें।
- शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें और आरती करें।
- भगवान शिव को फल और सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
- पूजा के उपरांत प्रसाद को परिवार और श्रद्धालुओं में वितरित करें।
- व्रत समाप्ति के समय या दिन में किसी गरीब, ब्राह्मण या मंदिर में अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
विशेष मान्यता:
प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जीवन में दरिद्रता, रोग और विघ्न दूर होते हैं।
प्रदोष व्रत 2025 – पूजा सामग्री लिस्ट
पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें:
- अक्षत (चावल)
- कलावा (मौली)
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- गंगाजल एवं शुद्ध जल
- बेल पत्र
- धतूरा
- कनेर का फूल
- सफेद मिठाई (जैसे पेड़ा)
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- भस्म (राख)
- भांग
- फल (केले, नारियल आदि)
- आसन (बैठने हेतु)
- शंख
- शिव चालीसा / रुद्राष्टक पुस्तिका
प्रदोष व्रत न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह आस्था, संयम और सेवा भाव का प्रतीक भी है। इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। अतः इस 10 अप्रैल 2025 को प्रदोष व्रत ज़रूर करें और महादेव की कृपा प्राप्त करें।