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Home ओपिनियन

सीजफायर के शोर में क्या दब गई ‘जीत’ की आवाज़?

आदित्य तिक्कू।।

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
May 12, 2025
in ओपिनियन
Reading Time: 3 mins read
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सीजफायर के शोर में क्या दब गई ‘जीत’ की आवाज़?

प्रिय स्वयं,


मैं लिख रहा हूँ… शायद इसलिए कि समझ नहीं पा रहा हूँ। शायद इसलिए कि 10 मई 2025 दोपहर के बाद जो हुआ, वह न मेरे अनुभव में आता है, न मेरे विश्वास में। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया — वह भी अचानक, बिना किसी ठोस कारण या भरोसे के संकेत के। और सबसे अजीब बात? यह सब उस वक्त हुआ जब पाकिस्तान की ओर से हमारे आसमान में ड्रोन मंडरा रहे थे, और मेरी ही सरज़मीं पर विस्फोटों की आवाज़ें गूंज रही थीं।

क्यों हुआ यह संघर्षविराम? कैसे हो गया यह शांतिपूर्ण समझौता?

क्या हम इतने ही भोले हैं कि शांति का झंडा दिखा देने मात्र से विश्वास कर लें? क्या यह वही पाकिस्तान नहीं है, जिसने 7 मई की रात हमारे चार राज्यों — जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान — पर ड्रोन और UAV हमले किए? क्या यह वही दुश्मन नहीं, जिसकी ओर से आए आतंकियों ने पहलगाम में 26 मासूमों की जान ले ली?

और फिर… फिर आया भारत का उत्तर — ऑपरेशन सिंदूर।

तो क्या हुआ ऑपरेशन सिंदूर में?

भारतीय थल, वायु और नौसेना ने 8 मई से एक समन्वित प्रहार आरंभ किया। तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों ने संयुक्त प्रेस वार्ता में साफ किया कि:

  • सीमापार के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

  • तीन दुर्दांत आतंकी — मुदस्सिर खास, हाफिज जमील और युसुफ अजहर — मारे गए।

  • मुरीदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय — जहां कसाब और हेडली को ट्रेनिंग दी गई थी — पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।

  • वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब प्रांत में कुल 9 आतंकी शिविरों को एयर-टू-सर्फेस मिसाइलों से खत्म कर दिया।

  • लाहौर और गुजरांवाला के रडार और एयरबेस सिस्टम को निष्क्रिय कर यह दिखा दिया कि भारत अब चेतावनी नहीं, सीधा एक्शन देता है।

तो फिर… सवाल यह है — अगर ऑपरेशन इतना सटीक और निर्णायक था, तो उसी के बाद क्यों हुआ सीजफायर?

क्या यह भारत की रणनीतिक विजय थी, जिसके बाद पाकिस्तान गिड़गिड़ाया?

या क्या यह किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय सौदेबाज़ी का परिणाम है?

क्या अमेरिका, चीन या UN जैसे कोई ‘तीसरे पक्ष’ ने दबाव डाला?

क्या कोई परमाणु युद्ध की आशंका थी, जिससे पीछे हटने की मजबूरी बनी?

या क्या हमें कोई अस्थायी राहत चाहिए थी — G20, चुनाव या अंतरराष्ट्रीय दबावों के चलते?

और यह भी — अगर सीजफायर था, तो फिर 3 घंटे बाद ड्रोन हमले क्यों हुए? यह कैसी शांति है, जिसमें धमाकों की आवाज़ें भी शामिल हैं?

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सेना को ‘तुरंत जवाब’ देने को कहा — यानी भारत ने सीजफायर का उल्लंघन नहीं किया, मगर जवाब देना जारी रखा।

क्या इसका मतलब यह है कि युद्ध अब भी चल रहा है — सिर्फ नाम बदला है?

मैं खुद से पूछता हूँ — क्या अब हम हर आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सीमित प्रहार ही करेंगे?

क्या यह भारत की नई सैन्य नीति है?

या फिर हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ युद्ध घोषित नहीं होते, बस ‘किए’ जाते हैं?

इस पत्र का उद्देश्य सिर्फ लिखना नहीं, बल्कि सोचने को मजबूर करना है।

क्योंकि मेरे जैसे लाखों भारतीय अब सिर्फ समाचार सुनना नहीं चाहते — उत्तर चाहते हैं।

और जब तक ये उत्तर नहीं मिलते, तब तक मैं अपने भीतर के इस द्वंद्व को शांत नहीं कर सकता।

अगर तुम भी मेरी तरह उलझन में हो — तो शायद यह पत्र तुम्हारा भी है।

सप्रेम,
एक भारतीय नागरिक — प्रश्नों के साथ, भरोसे से पहले।

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