जयपुर:राजस्थान की राजधानी जयपुर में साल 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में आखिरकार न्याय की गूंज सुनाई दी है। जयपुर की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को इस भीषण आतंकी हमले के चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन धमाकों में 71 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जबकि 185 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
क्या हुआ था 13 मई 2008 को?
13 मई 2008 की शाम जयपुर के अलग-अलग हिस्सों में सिर्फ 12 मिनट के अंदर 8 बम धमाके हुए थे। ये धमाके शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों जैसे चौपड़, मंदिरों और बाजारों को निशाना बनाकर किए गए थे। इस हमले से पूरा शहर दहशत में आ गया था और इसे देश की आंतरिक सुरक्षा पर बड़ा हमला माना गया था।
कौन हैं दोषी?
विशेष अदालत ने चार आरोपियों को दोषी ठहराया है:
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शहबाज हुसैन
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सरवर आजमी
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मोहम्मद सैफी
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सैफुर रहमान
इन सभी को अदालत ने बम धमाकों की साजिश रचने, विस्फोटक सामग्री तैयार करने और मासूम लोगों की हत्या करने का दोषी पाया है। इन पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) और IPC की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था।
अदालत का फैसला
17 साल तक चली सुनवाई और सबूतों के गहन विश्लेषण के बाद अदालत ने इन चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला मानते हुए दोषियों की निर्दयता और नृशंसता पर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि इन धमाकों का मकसद समाज में डर पैदा करना और देश की एकता को चोट पहुंचाना था।
लंबी कानूनी प्रक्रिया
इस केस में जांच एजेंसियों को दोषियों को पकड़ने में लंबा समय लगा। कई तकनीकी सबूतों, कॉल रिकॉर्ड्स और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत में केस तैयार किया गया। अभियोजन पक्ष ने इसे “पुख्ता सबूतों वाला मामला” बताया।
पीड़ित परिवारों की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद कई पीड़ित परिवारों ने न्याय मिलने पर संतोष जताया, लेकिन यह भी कहा कि उन्हें इतने सालों तक इंतजार करना पड़ा, जो बेहद पीड़ादायक रहा। कई लोगों ने दोषियों को फांसी की सजा की मांग भी की थी, लेकिन अदालत ने उम्रकैद की सजा देते हुए कानून के दायरे में न्याय सुनिश्चित किया।