नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले संसद में इकनॉमिक सर्वे पेश किया। सर्वे के अनुसार, अगले वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है। सर्वे में यह भी बताया गया है कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में सुस्ती बनी रह सकती है। इकनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष की आर्थिक स्थिति को दर्शाने के साथ-साथ अगले वर्ष के लिए अनुमान भी प्रस्तुत करता है।
- चालू वित्त वर्ष में विकास दर पर असर:
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कॉरपोरेट निवेश में सुस्ती के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर देखा गया है। चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमा है। इस वित्त वर्ष में विकास दर में गिरावट आई है। - खेती-किसानी को मजबूत करने की आवश्यकता:
सर्वे के अनुसार, भारत के कृषि क्षेत्र को और मजबूत किया जाना चाहिए। यह क्षेत्र देश की ताकत है और 5% की दर से आगे बढ़ रहा है। भारत जल्द ही खाद्य सुरक्षा के मामले में दुनिया का एक प्रमुख देश बन सकता है। - डिसइंवेस्टमेंट पर कोई जानकारी नहीं:
इकनॉमिक सर्वे ने डिसइंवेस्टमेंट के मुद्दे पर चुप्पी साधी है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि सरकार बजट में इस विषय पर कोई बयान जारी कर सकती है। - IMF का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अनुमान:
वैश्विक अर्थव्यवस्था 2023 में 3.3% की दर से वृद्धि करने में सफल रही। आईएमएफ का अनुमान है कि अगले पांच वर्षों के लिए वैश्विक विकास दर 3.2% रहेगी, हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में विकास दर अलग-अलग हो सकती है। - महंगाई पर नियंत्रण:
कोरोना महामारी और युद्धों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा था और महंगाई में वृद्धि हुई थी। अब स्थिति सामान्य हो रही है, जिसके कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। - फाइनेंशियल सेक्टर में स्थिरता:
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, कॉमर्शियल बैंकों के ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (GNPA) में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2018 के उच्चतम स्तर से यह गिरकर सितंबर 2024 तक 2.6% तक आ गया है। - FDI में वृद्धि:
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के मामले में यह वित्त वर्ष सकारात्मक रहा। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, FDI वित्त वर्ष 2025 में 55.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के बराबर है।