नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने रूस की यात्रा पर जा सकते हैं। खुद रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय ने इसकी जानकारी दी है। क्रेमलिन ने मंगलवार को घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। व्लादिमीर पुतिन के विदेश मामलों के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा की तैयारी की जा रही है, लेकिन उन्होंने कोई तारीख नहीं बताई। अगर दौरा होता है तो करीब पांच वर्षों में भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला रूस दौरा होगा। मोदी ने सितंबर 2019 में रूस का दौरा किया था।
उशाकोव ने कहा कि तारीख की घोषणा बाद में संयुक्त रूप से की जाएगी। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की संभावित यात्रा पर भारतीय पक्ष की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है। पीएम मोदी आखिरी बार 2019 में रूस के दौरा पर गए थे। हालांकि अब पीएम मोदी की यात्रा की योजना वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए बनाई जा रही है। पुतिन ने इस साल मई में लगातार पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी, जबकि नरेंद्र मोदी ने भी 9 जून को लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। अगर यह यात्रा होती है, तो यह फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से पीएम मोदी की पहली रूस यात्रा होगी।
आरआईए नोवोस्ती समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक, क्रेमलिन के अधिकारी यूरी उशाकोव ने कहा ”मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि हम भारतीय प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियां कर रहे हैं।” अगर मोदी रूस जाते हैं तो वह और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तीन वर्षों के अंतराल के बाद भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन करेंगे। भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच यह वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में उच्च स्तरीय संस्थागत संवाद तंत्र है। अब तक भारत और रूस के बीच क्रमश: एक दूसरे के देशों में 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हुए हैं। पिछला शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली में छह दिसंबर 2021 को आयोजित किया गया था। राष्ट्रपति पुतिन शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आए थे।
पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में दो और भारतीय नागरिक मारे गए, जिससे ऐसी मौतों की संख्या चार हो गई। इनकी मौत रूसी सेना की ओर से युद्ध लड़ते समय हुई। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 200 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के रूप में भर्ती किया गया था। नई दिल्ली ने रूसी सेना द्वारा भारतीय नागरिकों की आगे की भर्ती पर “सत्यापित रोक” की मांग की है।
रूस भारत का एक पुराना सहयोगी है। यही वजह है कि भारत यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा करने से कतराता रहा है। नई दिल्ली ने अमेरिका के शुरुआती दबाव के बावजूद रूसी कच्चे तेल की खरीद को बढ़ा दिया है। भारत का कहना है कि घरेलू तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ऐसा कदम उठाना आवश्यक है।