केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार सातवीं बार बजट पेश कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया और उनके इस बजट को एक महत्वाकांक्षी और समाधान की ओर देखता बजट कहा जा सकता है। अगर आम आदमी की बात करें, तो कई लोगों को कुछ लाभ हुआ है, लेकिन कुछ लोगों की उम्मीदें अधूरी रह गई हैं। आयकर के नजरिए से देखें तो पुराने आयकर ढांचे वाले लोगों को निराशा हाथ लगी है, जबकि नए आयकर ढांचे वाले लोगों को कुछ राहत मिली है। यह स्पष्ट है कि सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग नए कर ढांचे को अपनाएं, ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके।
कहने में कोई हर्ज नहीं कि नौकरीपेशा लोगों को आयकर में ज्यादा राहत की उम्मीद थी, लेकिन सरकार अपनी राजस्व जरूरतों के कारण सीमित है। सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक लोग नौकरीपेशा वर्ग में शामिल हों, जिससे राजस्व में वृद्धि हो। यह मंशा सरकार के रोजगार बढ़ाने के हालिया प्रयासों में भी नजर आती है। एक बड़ा बदलाव यह है कि जहां पहले एनडीए सरकार का स्वरोजगार पर ज्यादा जोर था, वहीं अब उनका ध्यान शुद्ध रोजगार पर है।
बेरोजगारी को दूर करने के लिए यह केंद्रीय बजट तीन योजनाओं के तहत रोजगार बढ़ाने का प्रयास करता है। संगठित क्षेत्र में युवाओं को नौकरी मिलने पर पहला वेतन सरकार देगी। इसके अलावा, रोजगार सृजन करने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार में वृद्धि होगी। दूसरी बात, देश के बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बनाई गई है, जिससे भी रोजगार में वृद्धि होगी। विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और आंध्र प्रदेश में सरकार बड़े पैमाने पर निवेश करने जा रही है। केंद्र सरकार बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के समग्र विकास के लिए ‘पूर्वोदय’ नाम से योजना बनाएगी। इसका मतलब है कि इन राज्यों में रोजगार बढ़ना तय है।
सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च होगा। ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार पूर्वी क्षेत्र में विकास के लिए एक औद्योगिक गलियारे का समर्थन करेगी। पिछड़े क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाना हर आगामी बजट की प्राथमिकता होनी चाहिए।
यह बजट फरवरी में पेश अंतरिम बजट का ही विस्तार है, लेकिन इसके लक्ष्य ज्यादा स्पष्ट हैं। इस वर्ष और आने वाले वर्षों के लिए नौ प्राथमिकताएं तय की गई हैं – कृषि में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार और कौशल, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, एमएफजी और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, नवाचार, अनुसंधान एवं विकास, और अर्थव्यवस्था में अगली पीढ़ी के आर्थिक सुधार।
आगामी पांच वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए सरकार ने दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। महिलाओं और लड़कियों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है। किसानों और कृषि को भी प्राथमिकता दी गई है। किफायती ग्रामीण आवास के साथ ही शहरों में आवास निर्माण का बजट भी बढ़ाया गया है। बजट अपने मकसद में संतुलित है, लेकिन आगे की राह आसान नहीं है। उदाहरण के लिए, कैपिटल गेन और शेयर बायबैक पर लगाए गए टैक्स से शेयर बाजार के निवेशक निराश हैं, इसका मतलब है कि बजट के अलावा भी सरकार को लगातार अनुकूल कदम उठाने होंगे।