श्रीहरिकोटा:इसरो ने एक सप्ताह के भीतर अपने दूसरे सफल मिशन में पीएसएलवी सी-53 से तीन विदेशी उपग्रहों को गुरुवार को यहां प्रक्षेपण स्थल से सटीक तरीके से कक्षा में स्थापित किया। इस मिशन के साथ पीएसएलवी सी-53 ने एक प्रामाणिक रॉकेट होने की साख को कायम रखा है। पीएसएलवी सी-53 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की बिजनेस ब्रांच ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआईएल) का दूसरा विशेष कमर्शियल मिशन है। उसने 23 जून को संचार उपग्रह जीसैट-24 का फ्रेंच गुयाना (दक्षिण अमेरिका) के कोउरू से सफल प्रक्षेपण किया था।
गुरुवार को फोर लेयर वाले 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी53 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉंच पैड से उड़ान भरी और सिंगापुर के तीन उपग्रहों- डीएस-ईओ, न्यूएसएआर और स्कूब-1 को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस बात की पुष्टि की कि मिशन ने अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि रॉकेट ने तीन उपग्रहों को सटीकता से कक्षा में स्थापित किया। उन्होंने एनएसआईएल को इसी महीने एक और बड़े मिशन को पूरा करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘आज के मिशन के साथ, ये तीनों उपग्रह सही कक्षा में स्थापित हो गए।’
यह पीएसएलवी का 55वां मिशन
मिशन के निदेशक एस आर बीजू ने प्रक्षेपण को शानदार बताया। प्रक्षेपण यान ने 25 घंटे की उलटी गिनती समाप्त होते ही शाम 6:02 बजे उड़ान भरी। यह पीएसएलवी का 55वां मिशन है। डीएस-ईओ 365 किलोग्राम वजनी उपग्रह है, वहीं न्यूएसएआर का वजन 155 किलोग्राम है। दोनों सिंगापुर के हैं और इनका निर्माण कोरिया गणराज्य की स्टारेक इनीशियेटिव ने किया है, वहीं तीसरा उपग्रह 2.8 किलोग्राम का स्कूब-1 है जो सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) का है।