डेस्क:गुजरात के जामनगर के राजपरिवार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजय जडेजा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। जाम साहब शत्रुशल्यसिंहजी महाराज ने शुक्रवार को अपने वारिस का ऐलान कर दिया। भारत के लिए 15 टेस्ट मैच और 196 वनडे खेल चुके 53 साल के जडेजा शाही जामनगर परिवार के वंशज हैं। उनका जन्म 1971 में जामनगर में हुआ था, जिसे तब नवानगर के नाम से जाना जाता था। उनके पिता दौलतसिंहजी जडेजा शत्रुसाल्यासिंहजी के चचेरे भाई हैं, जिन्होंने शुक्रवार देर रात एक पत्र के जरिए यह घोषणा की।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में कहा गया है, ‘दशहरे का त्योहार उस दिन को मार्क करता है जिस दिन पांडव वनवास से विजयी हुए थे। इस शुभ दिन पर, मैंने अपनी दुविधा का समाधान कर लिया है क्योंकि अजय जडेजा ने मेरे उत्तराधिकारी बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि अजय जडेजा जामनगर के लोगों के लिए एक वरदान साबित होंगे और समर्पण के साथ उनकी सेवा करेंगे। मैं उनका बहुत आभारी हूं।’
पूर्व भारतीय क्रिकेटर के रिश्तेदारों में महान क्रिकेटर केएस रंजीतसिंहजी और केएस दुलीपसिंहजी के नाम शामिल हैं, जिनके नाम पर रणजी ट्रॉफी और दुलीप ट्रॉफी का नाम रखा गया है। शत्रुसाल्यसिंहजी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेटर थे और नवानगर के महाराजा की उपाधि धारण करने वाले अंतिम व्यक्ति थे।प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी घरेलू क्रिकेट चैंपियनशिप का नाम उनके पूर्वज सर रणजीतसिंहजी विभाजी जडेजा के नाम पर रखा गया है, जिन्हें आमतौर पर रणजी के नाम से जाना जाता था। वे 1907 से 1933 तक नवानगर के शासक थे।
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान जाम साहब शत्रुशल्यसिंहजी की कोई संतान नहीं है। ऐसे में जब उन्हें अपने वारिस का ऐलान करना था तो उन्होंने अजय जडेजा को चुना। जाम साहब शत्रुशल्यसिंहजी के पिता दिग्विजय सिंह 33 सालों तक राजा रहे। वहीं साल 1992 से 2000 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे अजय जडेजा का नाम फिक्सिंग में आया था। जिसकी वजह से उनपर बैन लग गया था। 2003 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उवपर लगे बैन को हटा दिया था पर वे दोबारा क्रिकेट नहीं खेल पाए।