नई दिल्ली:भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर मालदीव के बाद श्रीलंका दौरे पर हैं। यहां उन्होंने श्रीलंका के कई कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात करने के साथ ही पीएम महिंदा राजपक्षे से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत और श्रीलंका के बीच कई प्रोजेक्ट्स पर साइन किए हैं। इसमें से एक प्रोजेक्ट की काफी बात हो रही है। आइए उसके बारे में जानते हैं।
कोलंबो गैजेट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि श्रीलंका और भारत ने जाफना में हाइब्रिड बिजली प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर साइन किए हैं, जो शुरू में चीन को दिया गया था। इस प्रोजेक्ट को शुरू में चीनी एमएस/सिनोसर-ईटेकविन जॉइंट वेंचर को दिया गया था लेकिन भारत द्वारा उठाए गए आपत्तियों के बाद इस पर पुनर्विचार किया गया था।
द हिंदू की एक रिपोर्ट बताती है कि जाफना में चीनी प्रोजेक्ट्स पर आपत्ति जताते हुए दक्षिण भारतीय तट से उनकी निकटता के बारे में सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया था। भारत ने तमिलनाडु से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर आने वाली चीनी परियोजना पर श्रीलंकाई पक्ष को चिंता व्यक्त जताई थी। नई दिल्ली ने उस प्रोजेक्ट को कर्ज के बजाए अनुदान के साथ निष्पादित करने की पेशकश की थी। अब इस प्रोजेक्ट पर जयशंकर और उनके श्रीलंकाई समकक्ष जीएल पेइरिस ने साइन किए हैं। यह श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में आने वाली तीसरी भारतीय एनर्जी प्रोजेक्ट है।
पूर्वी सम्पुर शहर में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के सौर उद्यम और उत्तर में मन्नार और पूनरिन में अडानी समूह की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए हालिया समझौतों के बाद, यह श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में आने वाली तीसरी भारतीय ऊर्जा परियोजना है। इससे पहले पूर्वी सम्पुर शहर में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के सोलर वेंचर और उत्तर में मन्नार और पूनरिन में अदानी समूह की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं पर समझौते हुए हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका की आर्थिक सुधार प्रक्रिया में भारत के निरंतर समर्थन का भरोसा दिया है।
उन्होंने कहा है कि श्रीलंका के साथ भारत की साझेदारी ‘पड़ोसी पहले’ दृष्टिकोण और SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) सिद्धांत में निहित है। उन्होंने आगे बताया कि भारत जरूरत के हर समय में श्रीलंका के साथ खड़ा है।