चंडीगढ़। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के बीच हरियाणा सरकार ने अपने राज्य में पराली जलाए जाने की घटना को गंभीरता से लिया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया है। हरियाणा के कृषि विभाग ने विभिन्न जिलों में तैनात 24 अधिकारियों को इस मामले में कोताही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है। ये अधिकारी अपने-अपने इलाकों में पराली जलाने की घटना को रोक पाने में नाकाम रहे थे। सरकार ने डिप्टी कमिश्नरों और डिप्टी डायरेक्टरों से मिली सिफारिशों के आधार पर ये कार्रवाई की है।
इसके अलावा हरियाणा सरकार ने पिछले कुछ दिनों में कैथल जिले में 18 किसानों को खेतों में पराली जलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दिल्ली में खासतौर से अक्टूबर और नवंबर के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ने के लिए अक्सर हरियाणा और पड़ोसी पंजाब में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले कुछ दिनों में पराली जलाने के लिए 18 किसानों को गिरफ्तार किया गया लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया क्योंकि यह अपराध जमानती है।’’
हरियाणा में कैथल जिले के पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) बीरभान ने बताया कि पराली जलाने के लिए वायु (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पानीपत, यमुनानगर और अंबाला समेत कुछ अन्य जिलों में भी पराली जलाने के लिए हाल में प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं। कहा जाता है कि धान की फसल के बाद किसान बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जला देते हैं, ताकि अगली फसल के लिए खेत तैयार किया जा सके लेकिन इससे बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण होता है। पंजाब-हरियाणा के खेतों से उठा ये धुआं दिल्ली-एनसीआर तक प्रदूषण फैलाने में बड़ा कारक है।
हरियाणा के मुख्य सचिव टी वी एस एन प्रसाद ने रविवार को उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जाए। उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने के मामले में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने को लेकर हरियाणा और पंजाब की सरकारों को बुधवार को फटकार लगायी थी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया।
रबी की फसल गेहूं की बुआई के लिए किसान अपने खेतों को साफ करने के लिए धान के अवशेषों (पराली) को जलाते हैं, क्योंकि कटाई और बुआई के बीच की अवधि बहुत कम होती है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने हाल में मांग की थी कि सरकार पराली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करे और किसानों से इसे खरीदे।