डेस्क। जम्मू और कश्मीर का इतिहास समृद्ध, रहस्यमयी और विभिन्न संस्कृतियों के मिलन का प्रतीक है। इसे धरती पर स्वर्ग कहा जाता है, और इसके पीछे एक लंबी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक यात्रा रही है। जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय कैसे और क्यों हुआ, इसका उत्तर देने के लिए हमें उस समय की ऐतिहासिक घटनाओं को समझना होगा।
जम्मू और कश्मीर का प्रारंभिक इतिहास
जम्मू और कश्मीर का इतिहास वैदिक काल से मिलता है। यह क्षेत्र हिन्दू, बौद्ध, और इस्लामी संस्कृतियों का संगम रहा है। 14वीं सदी में, कश्मीर में मुस्लिम शासन स्थापित हुआ। बाद में, मुगल सम्राट अकबर ने इसे अपनी सत्ता के अधीन किया। मुगलों के बाद, अफगानों और सिखों ने यहां शासन किया, और अंत में, यह डोगरा राजवंश के अधीन आ गया। डोगरा राजा गुलाब सिंह ने ब्रिटिश शासन के साथ एक संधि के तहत जम्मू और कश्मीर का अधिग्रहण किया।
विलय का कारण
1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली। भारत से अलग होकर पाकिस्तान देश बना।उस समय ब्रिटिश भारत के 565 रियासतों को भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में विलय करना था। इस दौरान जम्मू और कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहना पसंद किया। राजा हरि सिंह ने कुछ समय तक भारत या पाकिस्तान में से किसी भी पक्ष में विलय नहीं किया और स्वतंत्र रहना चाहा। राजा हरि सिंह का यह स्वतंत्र रहने का निर्णय लंबे समय तक नहीं चल पाया। 1947 में साल के दसवें महीने की 26 तारीख ने राज्य के इतिहास को काफी हद तक बदल दिया।
कब और कैसे हुआ विलय?
यह उन दिनों की बात है, जब 1947 में बंटवारे की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी। हर तरफ अफरा-तफरी और अनिश्चितता का माहौल था। ऐसे में हमसाया देश आक्रामक हो उठा और बंटवारे के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान ने एक भूल कर दी और कश्मीर पर हमला कर दिया। अक्टूबर 1947 में, पाकिस्तान ने कबायलियों के माध्यम से कश्मीर पर आक्रमण करवाया। इस आक्रमण के कारण कश्मीर में अराजकता फैल गई और राजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने यह स्पष्ट किया कि भारत तभी सहायता करेगा जब जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय होगा।
परिस्थितियों को देखते हुए कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को अपने राज्य को भारत में मिलाने का फैसला किया। इस आशय के समझौते पर हस्ताक्षर होते ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पहुंचकर हमलावर पड़ोसी की सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस लड़ाई में कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया। कश्मीर आज तक दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी की वजह बना हुआ है।
26 अक्टूबर 1947 का ऐतिहासिक दिन
राजा हरि सिंह ने अंततः 26 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय का समझौता (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत भारत ने जम्मू और कश्मीर में केवल रक्षा, विदेशी मामले और संचार के मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार प्राप्त किया। इस समझौते के बाद भारतीय सेना ने कश्मीर में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को खदेड़ने के लिए सैन्य अभियान शुरू किया। इस घटना ने जम्मू और कश्मीर को भारत का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया।
विलय के बाद के महत्वपूर्ण घटनाक्रम
जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय तो हो गया, लेकिन इसके बाद भी यह क्षेत्र विभिन्न समस्याओं और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करता रहा। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया, जो इसे कुछ स्वायत्तता प्रदान करता था। अनुच्छेद 35A के तहत राज्य के लोगों को विशेष अधिकार और सुविधाएं भी दी गई थीं।
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। इस कदम का उद्देश्य राज्य में विकास कार्यों को बढ़ावा देना और वहाँ स्थायित्व और शांति स्थापित करना था।
जम्मू और कश्मीर के बारे में कुछ रोचक तथ्य
प्राकृतिक सुंदरता: जम्मू और कश्मीर में डल झील, गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग जैसी सुंदर जगहें हैं, जो पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं।
चिनार के पेड़: कश्मीर के चिनार के पेड़ और शरद ऋतु में उनके पत्तों के रंगों का बदलना पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है।
केसर की खेती: भारत में केसर की खेती मुख्यतः कश्मीर घाटी में होती है।
शिकारा: डल झील में शिकारे (नावें) पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, जहाँ से झील और आसपास की पहाड़ियों का खूबसूरत नज़ारा मिलता है।
बर्फबारी और स्कीइंग: गुलमर्ग को स्कीइंग के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, और यहाँ हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
जम्मू और कश्मीर का यह विलय न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह भारत की राजनीतिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।