मुंबई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों का पीछे हटना पहला कदम है और उम्मीद है कि भारत 2020 की गश्त की स्थिति में वापस आ जाएगा। विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगला कदम तनाव कम करना है। हालांकि, ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन नहीं हो जाता कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है।
गश्त करने पर बनी सहमति
तनाव कम होने के बाद सीमाओं का प्रबंधन कैसे किया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत ने घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है। चार साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में यह एक बड़ी सफलता है।
बेहद करीब आ गई थीं दोनों सेनाएं
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि देपसांग और डेमचोक में गश्त करने और पीछे हटने पर आम सहमति बन गई है। यह स्पष्ट है कि इसे लागू करने में समय लगेगा। यह पीछे हटने और गश्त का मुद्दा है, जिसका मतलब है कि हमारी सेनाएं एक-दूसरे के बहुत करीब आ गई थीं और अब वे अपने ठिकानों पर वापस चली गई हैं। हमें उम्मीद है कि 2020 वाली स्थिति बहाल हो जाएगी।
विकसित महाराष्ट्र जरूरी
जयशंकर ने निवेश को महाराष्ट्र से गुजरात ले जाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि निवेशकों का अपना हिसाब-किताब होता है। वे ऐसी राज्य सरकार का चुनाव करेंगे, जो सक्षम और कुशल हो। पिछले 10 वर्ष में सभी परियोजनाएं भाजपा शासित राज्यों के पास नहीं आई हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी सरकार की जरूरत है, जिसकी विचारधारा केंद्र सरकार के समान हो। महाराष्ट्र उद्योग और बुनियादी ढांचे में अग्रणी राज्य है। विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए विकसित महाराष्ट्र महत्वपूर्ण है।
26/11 के बाद भारत ने नहीं दिया था जवाब : जयशंकर
मनमोहन सिंह सरकार पर परोक्ष हमला करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों का भारत ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन, अगर इस समय ऐसी घटना होती है, तो भारत चुप नहीं बैठेगा। आतंकवाद पर दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है और भारत आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए जहां कार्रवाई करने की जरूरत होगी, वहां कार्रवाई करेगा।
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुंबई में जो कुछ हुआ, हमें उसकी पुनरावृत्ति नहीं होने देनी चाहिए। यहां आतंकी हमला हुआ और कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। लेकिन, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद से लड़ाई में भारत अग्रणी है और इसके प्रति जीरो टालरेंस की नीति रखता है।
2008 में हुआ था मुंबई हमला
यह कोई पहली बार नहीं है, जब जयशंकर ने मुंबई हमले पर टिप्पणी की है। इसी साल अप्रैल में उन्होंने कहा था-मुंबई हमलों के बाद संप्रग सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने लिखा था कि हमने बैठकर चर्चा की। हमने सभी विकल्पों पर विचार किया। फिर हमने कुछ नहीं करने का फैसला किया। हमें लगा कि पाकिस्तान पर हमला करने की ज्यादा कीमत चुकानी होगी। बताते चलें, पाकिस्तान प्रायोजित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसमें 166 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।