नई दिल्ली: भारत सरकार ने जनगणना कराने की तैयारियां पूरी कर ली हैं। अगले साल से शुरू होने वाली यह प्रक्रिया एक वर्ष में समाप्त होगी, और 2026 में इसके आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे। जनगणना 2021 में प्रारंभ होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे टाल दिया गया। इसके बाद लोकसभा चुनावों के कारण भी इसमें देरी हुई। अब सरकार ने इस कार्य को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
यह जनगणना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन किया जाएगा। पिछले 50 वर्षों से लोकसभा सीटों का परिसीमन रुका हुआ है। 2029 में सीटें बढ़ने के साथ ही महिला आरक्षण भी लागू होगा।
हालांकि, जाति जनगणना को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सर्वे में लोगों से उनके संप्रदाय के बारे में सवाल पूछा जाएगा। यह माना जा रहा है कि संप्रदाय के आधार पर देश की जनसंख्या का आंकलन किया जाएगा, जिससे विभिन्न योजनाएं बनाने में सहायता मिलेगी और राजनीतिक लाभ भी होगा।
इस बार जनगणना में कुल 30 सवाल पूछे जाएंगे, जबकि 2011 में 29 सवाल पूछे गए थे। आइए जानते हैं, जनगणना में कौन-कौन से सवाल शामिल होंगे:
- व्यक्ति का नाम
- परिवार के मुखिया से संबंध
- लिंग
- जन्मतिथि और आयु
- मौजूदा वैवाहिक स्थिति
- शादी के समय की उम्र
- धर्म
- संप्रदाय
- अनुसूचित जाति या जनजाति
- दिव्यांगता
- मातृभाषा
- अन्य भाषाओं का ज्ञान
- साक्षरता की स्थिति
- मौजूदा शैक्षणिक स्थिति
- उच्चतम शिक्षा
- पिछले साल का रोजगार
- आर्थिक गतिविधि की श्रेणी
- रोजगार
- उद्योग की प्रकृति, रोजगार एवं सेवाएं
- श्रमिकों की श्रेणी
- गैर-आर्थिक गतिविधि
- रोजगार की चाह
- काम पर जाने का माध्यम (एक तरफ की दूरी, यात्रा का माध्यम)
- जन्म मूल स्थान पर हुआ या कहीं और (यदि दूसरे देश में हुआ हो तो उसका नाम)
- मूल स्थान पर हैं या पलायन किया (भारत में पलायन किया या नहीं, पलायन का समय)
- मूल स्थान से पलायन का कारण
- संतान की संख्या (बेटे और बेटियों की संख्या)
- जीवित जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या (बेटे और बेटियों की संख्या)
- पिछले एक साल में पैदा बच्चों की संख्या
- पलायन के बाद नए स्थान पर कितने साल से हैं (पलायन से पूर्व का मूल स्थान)
यह जनगणना देश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगी।