डेस्क:राजस्थान में 7 विधानसभा उपचुनाव को लेकर तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है। नामांकन वापसी के बाद अब 69 प्रत्याशी मैदान में हैं। 15 अभ्यर्थियों ने नाम वापस ले लिया। दो सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी में सीधा मुकाबला है। जबकि पांच सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है। दोनों ही राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रिय दलों से जुझना पड़ रहा है। इनमें चौरासी, सलूम्बर, झुंझुनू और खींवसर सीट शामिल है। दो सीटों दौसा, रामगढ़ में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है। जबकि देवली-उनियारा में कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। झुंझुनू में पूर्व गहलोत सरकार में मंत्री रहे निर्दलीय राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है।
सलूंबर विधानसभा सीट
विधायक अमृत लाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर इस बार भारत आदिवासी पार्टी के चुनावी मैदान में डटे रहने से इस सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। बीजेपी से दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा, कांग्रेस ने रेशमा मीणा और बीएपी ने अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेश कुमार कटारा को मैदान में उतारा है। पिछली बार भाजपा जीती थी, लेकिन कांग्रेस और उसके बाद बीएपी भी यहां अच्छे वोट लेकर गई थी। ऐसे में इस बार भी तीनों में कड़ी टक्कर की उम्मीद है।
खींवसर विधानसभा सीट
आरएलपी की गढ़ मानी जाने वाली खींवसर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। नाम वापसी के बाद अब इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का मुकाबला कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से है। आरएलपी से हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल, कांग्रेस से रतन चौधरी चुनाव मैदान में है। भाजपा की ओर से कभी हनुमान बेनीवाल के करीबी रहे रेवंतराम डांगा इस बार भी चुनौती देने को तैयार हैं, इसलिए सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है। पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर आरएलपी का कब्जा है। भाजपा के डांगा का गत विधानसभा चुनाव में बेनीवाल से सीधा मुकाबला था, जिसमें वे केवल 2049 वोटों से ही हारे थे।
झुंझुनू विधानसभा सीट
झुंझुनू विधानसभा सीट पर भी इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से इस बार कांग्रेस और बीजेपी को त्रिकोणीय मुकाबला का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस की ओर से ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी अमित ओला तो बीजेपी से पिछले चुनाव में बागी होकर निर्दलीय चुनाव में 42 हजार से ज्यादा वोट लेने वाले राजेन्द्र भांबू मैदान में है। वहीं, उदयपुरवाटी में विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र गुढ़ा ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबला त्रिकोणात्मक बना दिया है।
देवली-उनियारा विधानसभा सीट
इस सीट पर कांग्रेस बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस बागी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नरेश मीणा ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस की ओर से केसी मीणा, तो बीजेपी की ओर से राजेंद्र गुर्जर चुनाव मैदान में डटे हुए है।
दो सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी का सीधा मुकाबला
सात विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीट रामगढ़ और दौसा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला हैय़ रामगढ़ विधानसभा सीट पर नाराज नेताओं को मनाकर भाजपा सीधे मुकाबले के लिए तैयार है। इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान तो भाजपा के सुखवंत सिंह के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। दौसा सीट पर मजबूत बागी उम्मीदवार मैदान में नहीं होने से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा है। बीजेपी की ओर से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस प्रत्याशी डीडी मीणा के बीच मुकाबला है।