नई दिल्ली:दिल्ली में दिवाली के मौके पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। इससे जहां पटाखा बैन की धज्जियां उड़ी। वहीं दूसरी ओर शहर की आबोहवा काफी खराब हो गई है। गुरुवार को पटाखों जलने से राजधानी में गंभीर ध्वनि प्रदूषण हुआ, दृश्यता कम हो गई और आसमान धुएं की मोटी चादर से ढक गया। लोगों ने दिल्ली सरकार की पटाखे नहीं जलाने की अपील को नजरअंदाज किया। रात 10 बजे शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गया।
आनंद विहार समेत प्रमुख इलाकों में एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया, जबकि PM2.5 का कंसनट्रेशन बढ़ गया, जिससे सांस संबंधी हेल्थ के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो गई। पिछले साल दिवाली पर साफ आसमान था। उस दौरान मौसम की अनुकूल परिस्थितियों की वजह से एक्यूआई 218 था। इस साल जश्न ने शहर को गैस चैंबर बनने की स्थिति की ओर पहुंचा दिया है। प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों, पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन के कारण हवा खराब हो गई है।
हालांकि आप सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 377 टीम गठित की थी और स्थानीय एसोसिएशन के जरिए लोगों में जागरूकता फैलाई थी। लेकिन पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों का उल्लंघन होने की सूचना मिली। शहर का 24 घंटे का औसत AQI 330 दर्ज किया गया, जो एक दिन पहले बुधवार को 307 था।
धुएं की चादर में लिपटे आसमान ने 2020 की यादें ताजा कर दी हैं। रात 9 बजे PM2.5 और PM10 का स्तर क्रमशः 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ गया। ये महीन कण, जो आसानी से सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं, गंभीर स्वास्थ्य जोखिम के लिए जिम्मेदार होते हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से ही सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए। प्रदूषण में वृद्धि से निपटने की कोशिश में, दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवें साल पटाखों पर बैन लगाया था। उनके निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई थी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 377 टीम गठित की थी। पुलिस को पड़ोस की निगरानी के लिए तैनात किया गया था। अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि सरकारी आदेशों की अवहेलना करने पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद रिपोर्टों से पता चला है कि पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली में प्रतिबंध का उल्लंघन किया गया। जौनपुर, पंजाबी बाग, बुराड़ी और ईस्ट ऑफ कैलाश जैसे इलाकों में खूब पटाखें जलाए गए।