महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है, जहां महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच सियासी लड़ाई तेज होती जा रही है। हाल ही में किए गए सी-वोटर सर्वे ने राज्य के मौजूदा सियासी हालात का दिलचस्प खाका पेश किया है, जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की व्यक्तिगत लोकप्रियता बढ़ने के बावजूद जनता मौजूदा सरकार से कुछ हद तक असंतुष्ट नजर आ रही है।
सर्वे में सामने आया कि मुख्यमंत्री शिंदे ने लोकप्रियता में अपने प्रतिद्वंद्वियों उद्धव ठाकरे और देवेन्द्र फड़णवीस को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, राज्य के 51 प्रतिशत लोग शिंदे सरकार के कामकाज से नाखुश हैं और सत्ता में बदलाव की मंशा रखते हैं, जबकि 41 प्रतिशत लोग सरकार के प्रदर्शन को संतोषजनक मानते हैं।
लड़की बहिन योजना बनेगी गेम चेंजर?
महाराष्ट्र टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री शिंदे की ‘लड़की बहन योजना’ ने लोगों के बीच खासा असर डाला है। इस योजना को 45 प्रतिशत से अधिक लोगों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और इसे चुनाव में ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है। हालांकि, सरकार की इस लोकप्रियता में इजाफे के बावजूद सत्ता परिवर्तन की मांग बनी हुई है।
मराठा आरक्षण और बेरोजगारी बने अहम मुद्दे
सी-वोटर सर्वे में मराठा आरक्षण को भी चुनाव के नतीजों पर गहरा असर डालने वाला मुद्दा बताया गया है। 23 प्रतिशत लोग मानते हैं कि मराठा आरक्षण का मुद्दा आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और महंगाई जैसे मुद्दे सरकार के खिलाफ विरोध का कारण बन रहे हैं। 52.2 प्रतिशत लोगों ने शिंदे सरकार के विकास कार्यों की सराहना की है, लेकिन बेरोजगारी और महंगाई पर जनता में गहरी नाराजगी है।
बीजेपी-एनसीपी गठबंधन पर बंटे मतदाता
सर्वे में यह भी सामने आया कि बीजेपी को अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है। 49 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एनसीपी के बिना बीजेपी का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था, जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने इस गठबंधन को फायदेमंद बताया है।
चुनाव आयोग ने राज्य की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान की घोषणा की है, जबकि 23 नवंबर को मतगणना होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या शिंदे की व्यक्तिगत लोकप्रियता सरकार को बचा पाएगी या महाराष्ट्र की जनता सत्ता परिवर्तन का रास्ता चुनेगी।