नई दिल्ली:राजधानी की हवा लगातार आठ दिनों से दमघोंटू बनी हुई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में है और हवा में प्रदूषण की एक परत साफ देखी जा रही है। इसके चलते लोगों को स्वास्थ्य परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। अगले तीन-चार दिनों के बीच भी प्रदूषित हवा से राहत मिलने के आसार नहीं है।
दिल्ली में इस बार भले ही अच्छे मानसून के चलते जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में वायु गुणवत्ता सामान्य से ज्यादा अच्छी रही हो, लेकिन 10 अक्तूबर के बाद से ही हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा। पिछले आठ दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 अंक के ऊपर है। दीवाली से एक दिन पहले यानी 29 अक्तूबर को यह 268 अंक पर था।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 352 अंक रहा। मंगलवार को यह 373 अंक पर था। 24 घंटों के अंदर इसमें पंद्रह अंकों का सुधार हुआ है, लेकिन अब भी यह बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। इसके चलते लोग गले में खराश, जुकाम और आंख से पानी आना और जलन जैसी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
सामान्य से लगभग पौने तीन गुना ज्यादा प्रदूषण
मानकों के मुताबिक, हवा में पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम होने पर ही उसे स्वास्थ्यकारी माना जाता है। बुधवार को दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 10 का स्तर 282 और पीएम 2.5 का स्तर 155 पर रहा। यानी हवा में मानकों से लगभग पौने तीन गुना ज्यादा प्रदूषण रहा। अगले तीन-चार दिन हवा की औसत गति दस किलोमीटर से नीचे रहेगी। मौसम के कारक प्रदूषक कणों के तेजी से बिखराव के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए अभी राहत के आसार नहीं है।
औद्योगिक क्षेत्रों में 58 टीमों की तैनाती
राजधानी के औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाले प्रदूषण की रोकथाम और निगरानी के लिए 58 टीमों को तैनात किया गया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और डीएसआईआईडीसी की ये टीमें लगातार औद्योगिक क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगी और प्रदूषण के स्रोतों की रोकथाम करेंगी। पर्यावरण मंत्री राय ने बताया कि जाड़े के प्रदूषण की रोकथाम के लिए निर्धारित शीतकालीन योजना में 21 फोकस बिन्दु तय किए गए थे। इस क्रम में औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी और अपशिष्ठ प्रबंधन का कार्य शुरू कर दिया है। दिल्ली सचिवालय में बुधवार को आयोजित बैठक में राय ने अधिकारियों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा की।