नई दिल्ली:केंद्र सरकार 65 साल पुराने ‘संसद (अयोग्यता की रोकथाम) अधिनियम, 1959’ को खत्म कर उसकी जगह नया कानून लाने की योजना बना रही है। इस कानून में सांसदों को लाभ के पद के आधार पर अयोग्य ठहराने के नियम हैं। इसके स्थान पर नया ‘संसद (अयोग्यता की रोकथाम) विधेयक, 2024’ लाने का प्रस्ताव है, जो मौजूदा आवश्यकताओं के अनुकूल होगा।
केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधि विभाग ने 16वीं लोकसभा में कलराज मिश्रा की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर इस विधेयक का मसौदा तैयार किया है। प्रस्तावित विधेयक में पुराने कानून की धारा-3 को युक्तिसंगत बनाने और अयोग्य ठहराने वाले पदों की नकारात्मक सूची खत्म करने का प्रावधान है।
अयोग्यता नियमों में बड़ा बदलाव
मसौदा विधेयक में मौजूदा कानून की धारा-4 को हटाने का प्रस्ताव है, जो कुछ मामलों में अयोग्यता के अस्थायी निलंबन से संबंधित है। इसके स्थान पर केंद्र सरकार को यह अधिकार देने की बात है कि वह अधिसूचना के जरिए अनुसूची में संशोधन कर सके।
‘लाभ के पद’ की परिभाषा को व्यापक बनाने के लिए समिति ने इस कानून की समीक्षा की और अप्रचलित नियमों को हटाने की आवश्यकता बताई। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन और दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना जैसे विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के तहत नामित सदस्यों को अयोग्यता से बचाने के प्रावधान किए जाएं।
जनता की राय मांगी गई
विधि विभाग ने मसौदा विधेयक पर जनता से राय मांगी है। वर्तमान कानून में उन पदों की सूची दी गई है, जिन पर लाभ के पद का आरोप नहीं लगेगा, और साथ ही उन पदों का भी उल्लेख है, जिनके धारकों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। अब सरकार इसे नए और व्यापक कानून से बदलना चाहती है, जिससे सांसदों के अयोग्यता से जुड़े नियम और अधिक स्पष्ट और प्रासंगिक हो सकें।
समिति की सिफारिश:
- ‘लाभ के पद’ की व्यापक परिभाषा तैयार हो।
- सरकारी कार्यक्रमों से जुड़े नामित सदस्य अयोग्यता से बच सकें।
- पुराने अप्रचलित नियम हटाकर आधुनिक जरूरतों के मुताबिक संशोधन हों।
यह विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किया जा सकता है।