नई दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आपसंयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामला दिल्ली के कथित शराब घुटाले से जुड़ा है।
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
अरविंद केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि विशेष अदालत ने उनके अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के अभाव में आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था। क्योंकि, जब कथित अपराध किया गया था तब वह एक लोक सेवक थे। वहीं, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी मिल गई है। वह एक हलफनामा दाखिल करेंगे।
शुरू में जब हाई कोर्ट ने सुनवाई अगले साल के लिए तय की तो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने सुनवाई की शीघ्र तारीख की मांग की। उनके वकील ने तत्काल कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर आदेश देने पर जोर दिया। ईडी के वकील ने इस तरह के दृष्टिकोण को अनुचित बताते हुए स्थगन आवेदन पर जवाब दाखिल करने की मांग की।
हाई कोर्ट ने 12 नवंबर को केजरीवाल द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब मांगा। केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया।
केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी। शीर्ष अदालत ने उन्हें 13 सितंबर को सीबीआई मामले में जमानत पर रिहा कर दिया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की। इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे खत्म कर दिया। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा उत्पाद शुल्क नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश के बाद दर्ज किए गए सीबीआई मामले से उपजा है।