आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास जी का जन्मदिवस भी है। यह पर्व उन्हीं को समर्पित है। महर्षि वेदव्यास ने वेद-पुराणों की रचना की। मान्यता है कि गुरु ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताते हैं। इसलिए गुरु को विशेष स्थान दिया गया है। अपने गुरुओं को महर्षि वेदव्यास जी का अंश मानकर इस दिन उनकी पूजा करें। गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित ग्रंथों का अध्ययन-मनन करना चाहिए।
महर्षि वेदव्यास जी सभी 18 पुराणों के रचयिता हैं। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। सुख-समृद्धि, नौकरी-व्यापार में उन्नति पाने के लिए यह त्योहार बहुत शुभ है। गुरु पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में नारियल अर्पित करें। भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें। सामर्थ्य के अनुसार दान करें। पीली मिठाई-वस्त्रों का दान करें। जिन विद्यार्थियों को पढ़ाई में दिक्कत आ रही है वह गुरु पूर्णिमा के दिन गाय की सेवा करें। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु जी की पूजा कर उनका आशीर्वाद लें। उन्हें पीले वस्त्र भेंट करें। इस दिन माता-पिता, बड़े भाई-बहन की भी पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को पीला अनाज दान करें। विद्यार्थियों को इस दिन गीता का पाठ करना चाहिए। वैवाहिक जीवन में परेशानी है तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु यंत्र को स्थापित कर विधिवत पूजा करनी चाहिए। नौकरी में तरक्की पाने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन पीली मिठाई प्रसाद के रूप में बांटें।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।