न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित प्रथम वर्ल्ड मेडिटेशन डे के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने ध्यान (मेडिटेशन) को आज के समय की एक अत्यावश्यकता बताया। उन्होंने ध्यान को “मानसिक स्वच्छता” की संज्ञा देते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला, खासकर जब “मानसिक स्वास्थ्य ने हमारी जनसंख्या पर गंभीर प्रभाव डाला है।”
श्री श्री रविशंकर ने कहा, “आज के समय में ध्यान एक विलासिता नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुका है। मैं इसे मानसिक स्वच्छता कहूंगा। जैसे दांतों की सफाई के लिए डेंटल हाइजीन जरूरी है, वैसे ही ध्यान मानसिक स्वच्छता के लिए आवश्यक है। यह हमें आक्रामकता और अवसाद से दूर रखता है। आज की युवा पीढ़ी एक ओर आक्रामक व्यवहार का सामना कर रही है, तो दूसरी ओर अवसाद में डूबी हुई है।”
उन्होंने आगे कहा कि ध्यान हमें संवेदनशीलता और विवेक प्रदान करता है, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
श्री श्री रविशंकर ने लोगों को स्वयं, अपने सहजीवियों और पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “हमें अपने प्रति, अपने आसपास के लोगों के प्रति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। ध्यान हमें पर्यावरण और आसपास के लोगों की भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक बनाता है। यह हमें उन असामाजिक गतिविधियों से दूर रखता है, जो हमें और दूसरों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।”
इस अवसर पर श्री श्री रविशंकर ने विशेष ध्यान सत्र भी आयोजित किया, जिसमें 600 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग, अंडर सेक्रेटरी जनरल अतुल खरे और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 दिसंबर को 21 दिसंबर को वर्ल्ड मेडिटेशन डे घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। भारत ने इस प्रस्ताव को पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में पारित किया गया है, जब दुनिया संघर्षों और पीड़ा का सामना कर रही है। यह ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
21 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति होती है, जिसे भारतीय परंपरा में उत्तरायण का आरंभ माना जाता है। यह ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए अत्यंत शुभ समय माना गया है। यह तिथि 21 जून के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के छह महीने बाद आती है, जो ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन होता है।