डेस्क:मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त छापे के बाद सोना, चांदी, कैश की बरामदगी का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अब और भी बड़ा आकार लेता दिख रहा है। जंगल में मिली जिस कार से 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए कैश बरामद किया गया उससे एक डायरी निकलने की बात भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इसमें हर साल 100 करोड़ रुपए की हेराफेरी का हिसाब-किताब दर्ज है। डायरी में कई लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनसे रुपए लेने और देने की बात लिखी गई है। डायरी के जरिए कुछ और बड़ी मछलियां जाल में फंस सकती हैं। सामने आए खजाने और डायरी से मध्य प्रदेश में राजनीति भी तेज हो चुकी है।
यह सिलसिला शुरू हुआ परिवहन विभाग के एक पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी से। दिन में जहां सौरभ शर्मा के बंगले से करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई तो रात में मेंडोरी गांव पास एक सुनसान जगह पर एक इनोवा कार बरामद की गई। इसमें 52 किलो सोना और 9.86 करोड़ रुपए कैश था। कार चंदन गौर के नाम रजिस्टर्ड है,जो सौरभ का करीबी बताया जा रहा है। इस हिसाब से सोना और कैश सौरभ का ही बताया जा रहा है। अब मीडिया रिपोर्टस में बता्या गया है कि कार से एक डायरी भी मिली है जिसमें हर साल करीब 100 करोड़ रुपए की काली कमाई का काला-चिट्ठा दर्ज है। सौरभ शर्मा के ठिकानों से करीब 234 किलो चांदी भी मिल चुकी है। अचल संपत्तियों का आकलन भी किया जा रहा है।
इस डायरी के मिलने से अब परिवहन विभाग से जुड़े कई अफसरों और नेताओं भी जांच की जद में आ सकते हैं। लोकायुक्त पुलिस और इनकम टैक्स विभाग इस पूरे मामले की बारीकी से तहकीकात में जुटा है। इनकम टैक्स विभाग ने चंदन गौर से दो दिन तक पूछताछ की है। वहीं, सौरभ शर्मा अभी तक गिरफ्त से दूर हैं। उसके दुबई में छिपे होने की बात भी सामने आ रही है। जिस सौरभ शर्मा का नाम अभी तक मुख्य किरदार के तौर पर आया है वह एक साल पहले ही आरटीओ के कांस्टेबल पद से रिटायर हुआ है। भोपाल के पावर सर्कल में चर्चा है कि सौरभ शर्मा कम समय की नौकरी में ही आला अफसरों और कुछ नेताओं का बेहद करीबी हो गया था।
इनकम टैक्स अधिकारियों का भी मानना है जितने बड़े पैमाने पर बरामदगी हुई और जितने लेनदेन कागजात मिले हैं वह सब सिर्फ एक कांस्टेबल अर्जित कर ले यह प्रतीत नहीं होता है। माना जा रहा है कि सौरभ शर्मा कुछ और बड़े लोगों का मोहरा और कालेधन को ठिकाने लगाने का एक जरिया हो सकता है। सौरभ शर्मा के सामने आने के बाद ही यह पूरी तरह साफ हो पाएगा कि इतना कालाधन आया कहां से और इसके हिस्सेदार कौन-कौन हैं।