नई दिल्ली:इस्लामिक स्टेट के अंदाज में 28 जून को हुई कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच 20 जून को कुछ बरेलवी मुसलमानों की उस बैठक पर केंद्रित हो गई है, जो अंजुमन तलीमुल इस्लाम की रैली के तुरंत बाद उदयुपर में हुई थी। एक टीवी डिबेट शो के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी करने वाली नूपुर शर्मा के विरोध में इस रैली का आयोजन किया गया था। कन्हैयालाल के हत्यारे गौस मोहम्मद ने पूछताछ में कहा है कि नूपुर शर्मा के समर्थन की वजह से कन्हैयालाल का गला रेतने का फैसला इसी बैठक में हुआ था। हालांकि, बैठक में शामिल रहे अन्य लोग ऐसे किसी फैसले लिए जाने की बात से इनकार कर रहे हैं।
गौस मोहम्मद के मुताबिक, उसने इसी बैठक में कन्हैया की हत्या में शामिल होने की इच्छा जाहिर की तो दूसरे लोगों ने घटना के बाद कानूनी मदद और परिवार को आर्थिक मदद पर सहमति जाहिर की थी। जांच एजेंसियों ने उन लोगों से भी पूछताछ की है, जो गौस के मुताबिक 20 जून की उस बैठक में मौजूद थे। कन्हैया की हत्या की तारीख 26 जून तय की गई थी, लेकिन उस दिन उसने दुकान नहीं खोली। 28 जून को कन्हैया ने दुकान खोली तो उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
उदयपुर अंजुमन का प्रमुख मुजीब सिद्दकी है, जिससे जांच एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। अंजुमन अहले सुन्नत विचारधारा का हिस्सा है, जिसका बरेलवी एक उप-संप्रदाय है। अंजुमन के अलावा जांचकर्ता पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इंडिया-सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी और साजिशकर्ताओं में प्रमुख फरहहाद मोहम्मद शेख उर्फ बाबला पीएफआई के सदस्य हैं, जिसका ग्लोबल मुस्लिम ब्रदरहुड से नाता है।
सुरक्षा एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या पीएफआई-मुस्लिम ब्रदरहुड लिंक का इस्तेमाल करके नूपुर शर्मा के बयान को अरबी में ट्रांसलेट करके ब्रदरहुड के नेटवर्क में फैलाया गया। ब्रदरहुड कतर, कुवैत, तुर्की और पाकिस्तान में सक्रिय है, जहां नूपुर को लेकर ज्यादा विरोध जताया गया। जांचकर्ता हत्यारों से जब्त डिवाइस की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिससे आरोपियों की पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी और मुंबई आधारित सुन्नी दावत-ए-इस्लामी से जुड़ाव की तस्दीक होगी। तभी पूरी साजिश से पूरी तरह पर्दा उठेगा और मुस्लिम ब्रदरहुड वाले देशों की भूमिका का पता चलेगा।