डेस्क:मणिपुर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश सिद्धार्थ मृदुल ने राज्य में जारी हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है। मंगलवार को दिल्ली में एक पैनल चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लाने की आवश्यकता है, अन्यथा यहां कुछ भी बचाना मुश्किल होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर को “अदृश्य ताकतें” जला रही हैं और हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं।
अदृश्य हाथों का संदेह
जस्टिस मृदुल ने कहा, “मैं इस विचार से सहमत होने लगा हूं कि इस निरंतर हिंसा के पीछे एक अदृश्य हाथ है। हालांकि, यह हाथ किसका है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसके पीछे कई कारक हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि हर बार जब मणिपुर में स्थिति सामान्य होने लगती है, तो अचानक हिंसा की नई लहर शुरू हो जाती है। यह इंगित करता है कि कोई न कोई तत्व राज्य को अस्थिर बनाए रखना चाहता है।
19 महीने से जारी हिंसा
मणिपुर में पिछले 19 महीनों से हिंसा और जातीय संघर्ष का दौर जारी है। इस हिंसा ने अब तक 240 से अधिक लोगों की जान ले ली है। राज्य में शांति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार ने अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं और अफस्पा (AFSPA) फिर से लागू किया है। इसके अलावा, विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता भी की गई, लेकिन स्थिति में सुधार के कोई बड़े संकेत नहीं मिले।
“स्थिति पर कोई नियंत्रण नहीं”
जस्टिस मृदुल, जिन्होंने अक्टूबर 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था, ने बताया कि हिंसा के चलते न्यायपालिका को निर्बाध रूप से काम करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि कोई भी राज्य की स्थिति पर नियंत्रण नहीं रख रहा था।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को सुचारू रखना था, लेकिन मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण था।
केंद्र और राज्य पर सवाल
जस्टिस मृदुल के बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने में कौन सी ताकतें विफल हो रही हैं। उन्होंने हिंसा के पीछे बाहरी और स्थानीय दोनों प्रकार की ताकतों की भूमिका से इनकार नहीं किया।
मणिपुर में स्थिरता बहाल करने के लिए सरकार और समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।