अहमदाबाद:गुजरात प्रदेश की विस्तारित यात्रा कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ वर्तमान में अहमदाबाद जिले की यात्रा कर रहे हैं। धीरे-धीरे शांतिदूत भुज-कच्छ की दिशा में आगे बढ़ते जा रहे हैं। बुधवार को आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ अरणेज गांव से गतिमान हुए। आचार्यश्री का इन दिनों जैन तीर्थों अथवा अन्य जैन धर्म के मंदिर और तीर्थस्थलों में ठहरना हो रहा है। यह यात्रा व प्रवास मानों आचार्यश्री की सद्भावना को और अधिक प्रगाढ़ बनाने वाली है। मार्ग में लोगों पर आशीष बरसाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। लगभग 11 किलोमीटर की यात्रा कर आचार्यश्री बगोदरा में स्थित श्री नवकार धाम तीर्थ में पधारे। यहां से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया।
श्री नवकार धाम तीर्थ में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा कि वर्तमान अवसर्पिणी के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ हुए। उनके बाद चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए। हालांकि सभी तीर्थंकर समान ही होते हैं। तीर्थंकरों के चारों घाति कर्म क्षीण हो जाते हैं। आज के दिन भगवान तीर्थंकर का जन्म वाराणसी में हुआ। उन्होंने जीवन का थोड़ा हिस्सा गृहस्थ जीवन में प्रयोग किया। उन्होंने जलते हुए नाग-नागिन के जोड़े से बचाया और नवकार पाठ आदि सुनाया तो वे जोड़े देवगति में उत्पन्न हुआ। देव जगत होता है, वे अपने ढंग से कार्य करने में सक्षम होते हैं। तीर्थंकर का सान्निध्य मिलना बहुत सौभाग्य की बात होती है। कितने-कितने लोग भगवान पार्श्व की प्रेरणा से अपनी जीवन नैया पार कर ली। पौष कृष्णा दसमी उनका जन्मदिवस है। भगवान पार्श्वनाथ के लिए पुरुषादानीय विशेषण से अलंकृत किया गया है। वे काफी लोकप्रिय तीर्थंकर है। दुनिया में जितने मंदिर भगवान पार्श्व के प्राप्त होते हैं, उतने अन्य किसी तीर्थंकर के इतने मंदिर संभवतः नहीं मिल सकते स्तोत्र, मंत्र आदि भी प्रभु पार्श्व के संदर्भ में सबसे अधिक हैं। भगवान पार्श्व देव की लोग ऐसे भी आराधना करते हैं। उनके युग साधु भगवान महावीर के युग में रहे। हम भगवान पार्श्वनाथ के प्रति श्रद्धा प्रणति अर्पित करते हैं।
आचार्यश्री ने प्रभु पार्श्वदेव पर आधारित कई मंत्रों व गीतों का संगान करते हुए आगे कहा कि आज नवकार धाम तीर्थ में आना हुआ है। नवकार मंत्र तो जैन शासन का एक प्रमुख मंत्र है। नवकार धाम तीर्थ के श्री पराग भाई ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित भुज ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।