डेस्क:एक किसान पिता और उनके 16 वर्षीय बेटे की एक ही पेड़ से लटकती लाशें न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए एक गहरी त्रासदी बन गई हैं। नांदेड़ जिले के एक छोटे से गांव मिनाकी में घटी यह हृदयविदारक घटना आधुनिक जरूरतों और ग्रामीण जीवन की वास्तविकताओं के बीच के संघर्ष को उजागर करती है। बेटे की स्मार्टफोन खरीदने की मांग पूरी न कर पाने की बेबसी ने परिवार को गहरे शोक में डाल दिया ।
कहानी 10वीं कक्षा के छात्र ओमकार की है। ओमकार अपने तीन भाइयों में सबसे छोटा था और लातूर जिले के उदगीर में एक छात्रावास में रह रहा था। वह अपने पिता से पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन की मांग कर रहा था। यह एक ऐसी मांग थी, जिसे देश के लाखों छात्र सामान्य मानते हैं। परंतु, ओमकार का परिवार उन परिवारों में से था, जो पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। परिवार ने बताया कि लड़का पिछले कुछ समय से अपने पिता से स्मार्टफोन की मांग कर रहा था। उसने पढ़ाई के लिए फोन खरीदने की बात कही थी। लेकिन पिता पहले से ही कर्ज चुकाने में लगा था। बेबस पिता अपने बेटे की यह मांग पूरी नहीं कर सका।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की जांच कर रहे उप-निरीक्षक दिलीप मुंडे ने बताया, “लड़का मकर संक्रांति के मौके पर अपने घर आया हुआ था। बुधवार की शाम लड़के ने दोबारा फोन खरीदने की बात कही थी। लेकिन पिता ने अपनी आर्थिक स्थिति स्पष्ट कर दी। इसके बाद लड़का नाराज होकर घर से चला गया।” परिवार ने सोचा कि वह खेत पर सोने गया होगा। लेकिन सुबह जब वह घर नहीं लौटा, तो परिवार के लोग उसे ढूंढने निकले। पिता ने उसे खेत में पेड़ से लटका पाया। बेटे की यह हालत देखकर पिता का कलेजा टूट गया। वह अपने बेटे के शव को पेड़ से उतार लाए, लेकिन इस सदमे को सहन नहीं कर सके। उन्होंने उसी पेड़ से उसी रस्सी का इस्तेमाल कर अपनी जान दे दी।
नांदेड़ के पुलिस अधीक्षक, अभिनाश कुमार ने कहा, “मामले में आकस्मिक मौत का केस दर्ज किया गया है। घटना के पीछे के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।” गांव वाले अभी भी इस घटना के सदमे में हैं। ओमकार और उसके पिता का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को किया गया। हर आंख नम थी और हर चेहरा सवालों से भरा हुआ था। यह घटना केवल आर्थिक तंगी की नहीं, बल्कि उस सामाजिक दबाव की भी कहानी कहती है, जो आधुनिक दुनिया में जीवन की बढ़ती उम्मीदों से पैदा होता है।