डेस्क:देश के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अहम बयान दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि पिछले साल मारे गए 60% आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के थे। उन्होंने कहा, ‘आज की स्थिति में घाटी और जम्मू क्षेत्र में जो भी आतंकवादी बचे हैं, हमें लगता है कि लगभग 80% या उससे अधिक पाकिस्तानी मूल के हैं। जम्मू-कश्मीर की बात करें तो स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। नियंत्रण रेखा पर DGMO के बीच सहमति के बाद फरवरी 2021 से प्रभावी संघर्ष विराम जारी है। हालांकि, आतंकी ढांचा बरकरार है। IB सेक्टर से घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं। हाल के महीनों में, उत्तरी कश्मीर और डोडा-किश्तवाड़ बेल्ट में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि हमने इस बार अमरनाथ यात्रा के दौरान 5 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को देखा। चुनावों का शांतिपूर्ण संचालन एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। उन्होंने कहा कि ‘टेररिज्म से टूरिज्म’ की थीम धीरे-धीरे आकार ले रही है। उन्होंने कहा, ‘मैं सबसे पहले मुद्दों पर बात करूंगा और उत्तरी सीमाओं से शुरुआत करूंगा, जैसा कि आप जानते हैं कि स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर है। अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में स्थिति सुलझ गई। इन दो उप-क्षेत्रों में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त शुरू हो गई है। इसी तरह, इन दोनों क्षेत्रों में पारंपरिक चराई भी शुरू हो गई है। मैंने अपने सभी सह-कमांडरों को गश्त और चराई के संबंध में जमीनी स्तर पर इन मुद्दों को संभालने के लिए अधिकृत किया है, ताकि इन मुद्दों को सैन्य स्तर पर ही हल किया जा सके।’
सेना प्रमुख ने कहा कि एलएसी पर हमारी तैनाती संतुलित और मजबूत है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। उत्तरी सीमाओं के लिए एक फोकस क्षमता विकास ने युद्ध-लड़ने की प्रणाली में आला तकनीक के संचार को सक्षम किया। वहीं, सेना ने जम्मू के अखनूर सेक्टर में आतंकवादियों की संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान शुरू किया। रविवार को ड्रोन और दूसरे उपकरणों की भी मदद ली गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ग्रामीणों की ओर से जोगीवन वनक्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली थी। इसके बाद भट्टल क्षेत्र में सेना की विभिन्न इकाइयों की ओर से तलाशी अभियान शुरू किया गया। उन्हें संदेह था कि वे घुसपैठिये आतंकवादी थे।