डेस्क:महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद से विपक्षी INDIA गठबंधन में कांग्रेस के इकबाल पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली इलेक्शन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न हो पाने से भी दूसरे दल नसीहतें दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है तो वहीं उद्धव सेना और ममता बनर्जी भी AAP के साथ हैं। इस बीच उद्धव सेना ने तो अपने मुख पत्र सामना में संपादकीय लिखकर कांग्रेस को ‘अटल नसीहत’ दी है। उद्धव सेना का कहना है कि कांग्रेस बिलकुल भी संवाद नहीं कर रही है और INDIA अलायंस एकदम ठंडा पड़ा है। उद्धव सेना ने कहा कि इन्हीं हालातों में उमर अब्दुल्ला को कहना पड़ा कि यदि ऐसी ही स्थिति है तो फिर मान लेना चाहिए INDIA अलायंस लोकसभा चुनाव तक के लिए ही था और अब इसे भंग कर देना चाहिए।
इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर के एनडीए गठबंधन का उदाहरण भी उद्धव सेना ने दिया। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा कि तब NDA विपक्ष में था या फिर सत्ता में रहा, लेकिन उसके बीच में बहुत अच्छा सामंजस्य था। इसके चलते सभी साथी दलों के बीच अच्छा संवाद रहा और कभी आपसी मतभेद नहीं दिखे। या फिर दिखे भी तो उन्हें बहुत जल्दी ही सुलझा लिया गया। संपादकीय में राहुल गांधी की तारीफ भी कई गई है और कहा गया कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा का असर रहा है। इसके अलावा मल्लिकार्जुन खरगे जैसे वरिष्ठ नेता अध्यक्ष हैं, जबकि प्रियंका भी अब ऐक्टिव हैं। लेकिन INDIA अलायंस को साधकर रखने की जिम्मेदारी कौन लेगा।
सामना में लिखा गया, ‘आज ऐसे कई दल INDIA अलायंस का हिस्सा हैं, जो कभी NDA में थे। इनमें से कई दलों को अटल युग की बात याद है, जब अकसर मीटिंग बुलाई जाती थी। इसके अलावा राज्य स्तरीय दलों से बात करने के लिए प्रमोद महाजन और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता खुद जाया करते थे। इसके अलावा एनडीए के पास एक मजबूत संयोजक हुआ करता था। लंबे समय तक जॉर्ज फर्नांडीस जैसे दिग्गज नेता के पास यह पद रहा था। यह बैठकें बहुत सम्मान के होती थीं। अकसर लंच और डिनर पर मुलाकातें होती थीं। कई बार अटल जी या फिर लालकृष्ण आडवाणी ही बैठकों की अध्यक्षता करते थे।’
बता दें कि उद्धव सेना की यह नसीहत भी तब आई है, जब उसने खुद ही कई बार कहा है कि निकाय चुनाव में वह अकेले उतरेगी। गौरतलब है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में हार के बाद INDIA अलायंस का नेतृत्व बदलने की मांग हो रही है और कांग्रेस की बजाय किसी और दल के लीडर को ड्राइविंग सीट पर लाने की बात की जा रही है। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला तो ईवीएम पर भी अलग रुख अपना रहे हैं और कई बार पीएम मोदी की जमकर तारीफ कर चुके हैं।