डेस्क:कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, पार्टी या किसी नेता ने इस विषय पर आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की है। इस बीच, राज्य सरकार के मंत्री आरबी टिम्मापुर ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है, जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना आधा कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यह संकेत दिया गया था कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद में बदलाव होगा।
टिम्मापुर ने कहा, “दलित को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता? मुझे मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए?” गौरतलब है कि राज्य सरकार में कई दलित नेताओं ने अहम पदों पर कार्य किया है, लेकिन अब तक कोई भी दलित नेता मुख्यमंत्री नहीं बना। मुख्यमंत्री पद की रेस में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। 2023 चुनाव के बाद से ही शिवकुमार की सीएम पद के लिए दावेदारी की बात चल रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के नेताओं का कहना है कि सिद्धारमैया अपनी उत्तराधिकारी चुनने के लिए रणनीतिक कदम उठा रहे हैं। एक नेता ने कहा, “यह एक खुला राज है कि वह दलित मुख्यमंत्री को लेकर चर्चाएं बढ़ा रहे हैं ताकि पार्टी में विरोध को कम किया जा सके, खासकर तब जब उनका आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है। हालांकि, शिवकुमार के कैंप द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।”
मामले के जानकार सूत्रों के अनुसार, दलित नेता पर सहमति बनाने के लिए एक एससी-एसटी विधायकों की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के दखल के बाद इसे रद्द कर दिया गया। यह रद्दीकरण कथित तौर पर शिवकुमार के कहने पर हुआ। इस पर जी परमेश्वरा ने कहा, “बैठक को रद्द नहीं किया गया, बल्कि उसे टाला गया है। कोई भी बैठक को रोक नहीं सकता है। अगर कोई कहता है कि वे दलित मुद्दों पर चर्चा नहीं करने देंगे, तो हम उन्हें जवाब देंगे। हमारे पास पूरी ताकत है।”
बैठक रद्द होने की वजह से राज्य के कई दलित नेताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है।