इस समय कड़ाके की सर्दियां पड़ रही हैं। इतनी ठंड में बच्चों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही हुई नहीं कि बच्चे तुरंत बीमार पड़ जाते हैं। वैसे तो सर्दियों में पैरेंट्स ज्यादातर बच्चों को घर में ही रखते हैं लेकिन फिर भी स्कूल तो भेजना ही पड़ता है। सुबह-सुबह कड़ाके की ठंड में बच्चों को बाहर भेजना पैरेंट्स के लिए थोड़ा मुश्किल जरूर होता है। इस दौरान बच्चों को और भी खास केयर की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आपके बच्चे भी सर्दियों में स्कूल जा रहे हैं तो इन खास बातों का ध्यान आपको जरूर रखना चाहिए।
गर्म कपड़ों से कवर कर के भेजें स्कूल
ठंड के मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। खासतौर पर अगर बच्चे स्कूल गोइंग हैं, तो उनके पहनावे का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। बच्चे को ठंड ना लगे इसके लिए उन्हें थर्मल वियर, स्वेटर के साथ मोजे, कैप ,ग्लव्स जैसी चीजें जरूर पहनाएं। हालांकि इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि बच्चों को जरूरत से ज्यादा कपड़े पहना दिए जाएं। ये उनके लिए थोड़ा सफोकेटिंग भी हो सकता है।
खान-पान का रखें ध्यान
ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम आदि की समस्या काफी बढ़ जाती है। ऐसे में अगर बच्चे की इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग होगी, तो वो इन मौसमी बीमारियों के खतरे से बचा रहेगा। यही वजह है कि सर्दी के मौसम में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस मौसम में हेल्दी फ्रूट्स और वेजिटेबल इजीली अवेलेबल रहते हैं, इन्हें बच्चे की डाइट में शामिल करें। इससे बच्चे हेल्दी भी रहेंगे और बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
नींद भी होनी चाहिए पूरी
बच्चे हों या बड़े, फिजिकली और मेंटली स्ट्रांग रहने के लिए नींद पूरी होना बहुत जरूरी है। हालांकि मोबाइल फोन, टैबलेट और टीवी के इस जमाने में बच्चे इतना मशगूल हो जाते हैं कि उन्हें सोने-जागने, खाने-पीने की फिक्र ही नहीं रहती है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा भरपूर नींद ले। दिन भर पढ़ाई और भागदौड़ की वजह से बच्चे थक जाते हैं, ऐसे में सर्दियों के मौसम में उन्हें फिट और एक्टिव बनाए रखने के लिए कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद जरूर दिलाएं।
ना हो बच्चे को मेंटल स्ट्रेस
सर्दियों के मौसम में दिन बहुत छोटा होता है, ऐसे में बच्चों के लिए टाइम मैनेजमेंट करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। स्कूल और पढ़ाई के बीच में बच्चों को खेलने का समय नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है। ऐसे में पेरेंट्स की ये जिम्मेदारी है कि वो बच्चे के मेंटल स्ट्रेस को कम करने का प्रयास करें। पढ़ाई-लिखाई के साथ खेलकूद का भी प्रॉपर समय दें। जिससे बच्चों का दिमाग रिलैक्स हो सके।