नई दिल्ली:भारत और चीन के बीच एलएसी गतिरोध को लेकर सैन्य स्तर पर रविवार को 16वें दौर की बातचीत जारी है। इस बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कहा है कि एलएसी पर वायु गतिविधि पर हमारी ओर से लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा, “जब भी हमें लगता है कि चीनी विमान एलएसी के बहुत करीब आ रहे हैं, तो हम अपने लड़ाकू विमानों और सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखकर उचित उपाय करते हैं। इसने उन्हें डरा दिया है। चीन ऐसा क्यों कर रहा है, इसका कोई एक कारण नहीं बता सकते हैं।”
दरअसल, चीन ने हाल ही एक बार फिर से भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया। चीनी वायुसेना के एक विमान ने पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय जवानों के बेहद करीब से उड़ान भरी। एयर स्पेस में दखलअंदाजी को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत जरूरी कदम उठाए। यह घटना जून के आखिरी हफ्ते में एलएसी के करीब की बताई गई। मामला सामने आने के बाद भारतीय वायुसेना ने इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई।
भारत-चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध के मुद्दों को हल करने के लिए आज 16वें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता कर रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चुशूल मोल्दो बैठक स्थल पर सुबह करीब साढ़े नौ बजे वार्ता शुरू हुई। भारतीय सेना और चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के बीच इससे पहले 11 मार्च को वार्ता हुई थी। 15वें चरण की वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था।
मालूम हो कि बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंदय सेनगुप्ता कर रहे हैं। वहीं, चीन के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन कर रहे हैं।
अलग हवाई रक्षा कमान की स्थापना से नुकसान संभव: वायुसेना प्रमुख
वी. आर. चौधरी ने कहा था कि अलग हवाई रक्षा कमान की स्थापना से फायदा के बदले नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश की वायु शक्ति के सभी तत्वों को मिलकर समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है, ताकि भविष्य की विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि आधुनिक 4.5 और पांचवीं पीढ़ी के विमानों की क्षमता व्यापक है और उन विमानों को किसी एक भूमिका तक सीमित कर देने से उनका अपेक्षित उपयोग नहीं हो पाएगा।