बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। चार शुभ योग में इस बार सरस्वती पूजा तीन फरवरी को मनेगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा करते हैं। बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन 4 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं, बसंत पंचमी के दिन महाकुंभ का अमृत स्नान भी होगा।
कब है बसंत पंचमी:पंचांग के अनुसार, इस साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि का शुभारंभ 2 फरवरी दिन दोपहर 12:04 बजे से होगा। यह तिथि 3 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 9.49 बजे खत्म होगी। ऐसे में बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, शिव योग, उत्तर भाद्रपद नक्षत्र व रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना गया है। शीत ऋतु की समाप्ति के बाद बसंत का आगमन होता है। बसंत पंचमी के समय पूरी धरती सरसों के पीले फूलों से बहुत ही सुंदर दिखती है। बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी महत्व:इस खास पर्व पर मां सरस्वती के पूजन के साथ माता रति और कामदेव का भी पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां सरस्वती के जन्मदिन तथा रति व कामदेव के पृथ्वी पर आगमन के रूप में बसंत पंचमी मनाई जाती है। इसलिए दंपति रति और कामदेव का भी इस दिन पूजन करते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में किसी तरह का कष्ट न आए। मान्यता है कि जो लोग बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करते हैं और उपवास रख श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करते हैं, उन पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होती है।