डेस्क:कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला किया। संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में विधायक और सांसदों को कोई पावर नहीं है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद भी यह बात कहते हैं। राहुल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के 90 बड़े अफसर देश के बजट पर निर्णय लेते हैं। उनमें से दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की भागीदारी 10 फीसदी भी नहीं हैं। जबकि भारत की आबादी में इन वर्गों की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देशभर में जाति जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके आधार पर देश का विकास होना चाहिए। इससे पता लग जाएगा कि किसकी कितनी आबादी है, और उसकी ब्यूरोक्रेसी, शिक्षण संस्थानों और निजी कंपनियों में कितनी भागीदारी है। क्योंकि गरीब मजदूरों और किसानों को देश का धन नहीं मिल पा रहा है। वो कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में ही जा रहा है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भले ही उन्हें राजनीतिक नुकसान झेलना पड़े, वह जाति जनगणना कराकर रहेंगे। साथ ही आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को भी तोड़ने की जरूरत है। मोदी सरकार संविधान को बदलने की बात कर रही थी। जब चुनाव में जनता ने सच्चाई दिखाई तो संविधान को सिर पर रखकर आए।
राहुल गांधी ने निजी क्षेत्रों में दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग की बहुत कम भागीदारी होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश की 500 बड़ी कंपनियों की लिस्ट निकाल लीजिए, उनमें से एक भी कंपनी का मालिक इन वर्गों से नहीं है। यहां तक कि इन कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट में भी दलित, पिछडा, अल्पसंख्यक और आदिवासियों को जगह नहीं मिली हुई है।