इस समय प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। जब प्रयागराज में 12 बार पूर्णकुंभ हो जाते हैं, तो उसे महाकुंभ कहा जाता है। महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ में एक बार आता है और इसका आयोजन 144 सालों में एक बार होता है। इस पवित्र आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इसके अलावा, इस मेले में दुनिया भर के नागा साधु भी भाग लेते हैं। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो चुकी है और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को इसका समापन होगा।
महाकुंभ का मुख्य आकर्षण अखाड़ों के नागा संन्यासी होते हैं। स्नान के लिए निकले नागा साधुओं का अंदाज निराला होता है। कुंभ मेले का विशेष महत्व अमृत स्नान के कारण है। अमृत स्नान के अवसर पर लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा में स्नान करने के लिए उमड़ पड़ते हैं। कुंभ मेले में ललाट पर त्रिपुंड, शरीर में भस्म लगाए नागा साधुओं की साधना, विद्वानों के प्रवचन, अखाड़ों के लंगर जैसी कई आध्यात्मिक झलकियां देखने को मिलती हैं।
फरवरी में अमृत स्नान की तिथियां
1. बसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान बसंत पंचमी पर होगा। महाकुंभ के दौरान हर दिन स्नान का विशेष महत्व होता है, लेकिन अमृत स्नान का महत्व सबसे अधिक होता है। इस दिन नागा साधु और संन्यासी अपने शिष्यों के साथ भव्य जुलूस निकालते हुए संगम में गंगा स्नान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अमृत स्नान करने से हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
2. माघ पूर्णिमा – 12 फरवरी 2025
माघ पूर्णिमा के दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। इस दिन को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश हो जाता है।
3. महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025
महाकुंभ का अंतिम पवित्र अमृत स्नान महाशिवरात्रि पर होगा। इस दिन नागा साधु और श्रद्धालु बड़ी संख्या में गंगा स्नान करेंगे। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दिन स्नान करने से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
अमृत स्नान का महत्व
हिंदू धर्म में अमृत स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान के दौरान गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अमृत स्नान करने से पितृ दोष दूर होते हैं।
- अमृत स्नान से आध्यात्मिक ऊर्जा और शुद्धि प्राप्त होती है।
- कुंभ मेले के दौरान किसी भी दिन स्नान करने से विशेष पुण्य मिलता है, लेकिन अमृत स्नान करने से अमरत्व का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का एक महापर्व है।