डेस्क:केंद्र सरकार टैक्स चोरी के उद्देश्य से बनाए गए बोगस फर्मों पर नकेल कसने जा रही है। अब नई फर्म का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन करना होगा। अभी तक आधार आधारित सत्यापन प्रक्रिया के जरिए नई फर्म का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, जिसमें आधार में दर्ज मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (OTP) जाता है, फिर उसको रजिस्ट्रेशन के समय फीड कर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाता है, लेकिन लगातार बढ़ रहे जीएसटी चोरी के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को बदलने जा रही है।
वित्त मंत्रालय के निर्देश पर फर्म रजिस्ट्रेशन में बायोमैट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम शुरू हो गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंदुस्तान को बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत गुजरात और आसाम में ट्रायल पूरा कर लिया गया है। अब जल्द ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
यही एक मात्र तरीका
यह एक मात्र तरीका है, जिसके माध्यम से बोगस फर्मों पर रोक लगाई जा सकती है। इस प्रक्रिया में जिस व्यक्ति के नाम पर फर्म का रजिस्ट्रेशन होना है। उसके हाथों के फिंगर प्रिंट यानी बायोमैट्रिक जानकारी को स्कैन किया जाएगा, जिसमें उस व्यक्ति का मौजूदा रहना अनिवार्य होगा, जिसके नाम पर फर्म बनाई जा रही है।
रजिस्ट्रेशन 15 मिनट में
इससे फर्म रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और फर्जी तरीके से गठित की जा रही फर्मों पर रोक लगेगी। नई प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन के समय सारे कागजात लेकर जाने होंगे। बायोमैट्रिक सत्यापन पूरा होने के बाद 15 मिनट में फर्म के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
पायलट प्रोजेक्ट में सफल रहा प्रयोग
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बदलाव के बाद देखा गया कि बोगस फर्मों के रजिस्ट्रेशन में भारी कमी आई है क्योंकि बायोमैट्रिक सत्यापन में यह धांधली होने की संभावना कम हो जाती है कि किसी व्यक्ति ने अपने यहां पर कार्यरत कर्मचारी के नाम पर फर्म का रजिस्ट्रेशन करा लिया। अब इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किए जाने की तैयारी है।
पुरानी फर्मों के लिए भी अनिवार्य हो सकती है नई व्यवस्था
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार आगे चलकर पुरानी फर्मों के लिए भी बायोमैट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया को अनिवार्य कर सकती है, जिससे कि बोगस फर्मों को पता लगाया जा सके। बायोमैट्रिक सत्यापन होने के बाद फर्म के प्रति उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी, जिसने रजिस्ट्रेशन के समय अपने सारे दस्तावेज जमा कराए और यह सहमति दी कि फर्म को गठन उसके नाम पर और उसकी सहमति के आधार पर किया जा रहा है।
अभी तक देश भर में पकड़ी जाने वाली बोगस फर्मों को लेकर कुछ कानूनी अड़चने आ रही थीं। जीएसटी विभाग की टीम जब ऐसी फर्मों को पकड़ी थी तो पता चलता था कि जिस व्यक्ति के नाम पर फर्म बनाई गई है वो न उस कारोबार के बारे में जानता है और न उसने कोई लिखित सहमति दी है।
क्या होती हैं बोगस फर्मे
यह वो फर्म होती हैं जो टैक्स चोरी के उद्देश्य से बनाई जाती हैं, जिसे वस्तु या सेवा में कारोबार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। कागजों में उस तरह की सेवाओं और वस्तुओं की खरीद-बिक्री दिखाई जाती है लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसे फर्मों द्वारा वस्तु और सेवा का कोई काम नहीं किया जाता है। कागजों में कारोबार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम किया जाता है। बीते वर्ष विशेष अभियान के जरिए देश भर में 44,015 करोड़ रुपये की संदिग्ध आईटीसी चोरी में शामिल कुल 29,273 फर्जी फर्मों का पता चला है।