डेस्क:संसद में एक बार फिर मंगलवार को संविधान का मुद्दा उठाया गया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि संविधान सभा के सदस्यों की ओर से हस्ताक्षरित संविधान की उस मूल प्रति का ही प्रकाशन हो, जिसमें भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति को प्रदर्शित करते 22 चित्रों का उल्लेख है। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल की ओर से इस मुद्दे को उठाया गया। इसके बाद सभापति ने यह व्यवस्था दी। इस पर सदन के नेता जेपी नड्डा ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपि ही बाजार में उपलब्ध हो।
राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि आज देश का आम नागरिक हो या फिर विधि शास्त्र का छात्र, अगर वह भारत के संविधान की प्रति बाजार में खरीदने जाता है तो उसे वह मूल प्रति नहीं प्राप्त होती है, जिस पर 26 जनवरी 1949 को संविधान निर्माताओं ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने दावा किया कि भारत के संविधान के साथ असंवैधानिक तरीके से खिलवाड़ किया गया और इसके कुछ प्रमुख हिस्सों को निकाल दिया गया। अग्रवाल ने कहा कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया है और उसका पालन किए बगैर एक भी कॉमा, फुल स्टॉप या शब्द नहीं हटाया जा सकता है। लेकिन, देश के नागरिक जानना चाहते हैं कि क्या कारण थे कि 26 जनवरी 1949 को भारत के जिस संविधान पर हस्ताक्षर किए गए थे, उसके महत्वपूर्ण हिस्सों को कुछ लोगों ने न जाने कब बिना किसी संसदीय स्वीकृति के हटा दिया।
भाजपा सदस्य ने कहा कि संविधान की मूल प्रति में चित्रकार नंदलाल बोस की ओर से बनाए गए कुल 22 चित्र हैं। इनमें मोहनजोदड़ो, लंका पर श्रीराम की विजय, गीता का उपदेश देते श्रीकृष्ण, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, महारानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, हिमालय और समुद्र के दृश्य शामिल थे, जिन्हें हटा दिया गया। अग्रवाल की इस टिप्पणी का कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि भाजपा के सदस्य असत्य बोल रहे हैं। इस पर सभापति धनखड़ ने कहा कि संविधान की मूल प्रति वही है, जिस पर संविधान निर्माताओं ने दस्तखत किए हैं और जिसमें 22 चित्र हैं जो भारत की सांस्कृतिक यात्रा के 5000 साल दर्शाती हैं। उन्होंने कहा, ‘आज के दिन कोई भी संविधान की पुस्तक लेता है, उसमें ये नहीं है। यह अनुचित है।’
जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि संविधान निर्माताओं की ओर से हस्ताक्षरित संविधान में 22 लघुचित्र हैं। यह एकमात्र प्रामाणिक संविधान है और इसमें संसद की ओर से संशोधन शामिल किए जा सकते हैं। अगर न्यायपालिका या किसी संस्था की ओर से कोई परिवर्तन किया जाता है, तो वह इस सभा को स्वीकार्य नहीं है।’ उन्होंने सदन के नेता से यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश में भारतीय संविधान का केवल प्रामाणिक रूप ही प्रकाशित किया जाए। इसके किसी भी उल्लंघन को सरकार की ओर से काफी गंभीरता से लिया जाना चाहिए और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में इस मुद्दे को अनावश्यक उठाया जा रहा है। इसके जरिए बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से बनाए गए संविधान को विवाद में लाया जा रहा है। इस पर खरगे को टोकते हुए धनखड़ ने कहा कि यहां पर आंबेडकर जी की भावना को परिभाषित किया जा रहा है। खरगे ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि कहा कि जब संविधान लागू हुआ तब बाबासाहेब आंबेडकर, वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू जिंदा थे और वे संविधान सभा के सदस्य भी थे। खरगे ने कहा कि श्यामा प्रसिद्ध मुखर्जी भी इसके सदस्यों में थे। उन्होंने कहा, ‘तो उस समय उसमें कोई बदलाव आपको नहीं दिखा? लेकिन आज आप नए-नए शब्द ला रहे हैं। कोई विक्रमादित्य की फोटो बोल रहा है, कोई कृष्ण की फोटो बोल रहा है। वह कहां है संविधान में। मुझे बताइए। मैंने भी संविधान देखा है और पढ़ा है।’
मल्लिकार्जुन खरगे ने धनखड़ से कहा कि वह तो वकील हैं और क्या आपने देखा है कि संविधान में कुछ बदलाव हुआ है? उन्होंने कहा, ‘जो भी हुआ है वह सहमति से हुआ है। सदन की सहमति से हुआ है।’ उन्होंने कहा कि इस बात को बढ़ाना, विवाद खड़ा करना, आंबेडकर को बदनाम करने की कोशिश करना है। धनखड़ ने कहा कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का भारी अपमान होगा, अगर संविधान की जिस प्रति पर दस्तखत हैं, वह प्रसारित नहीं की जाए। सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि जो विषय राधामोहन दास अग्रवाल ने उठाया है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
जेपी नड्डा ने कहा, ‘बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा इसलिए है कि संविधान की जो मूल प्रति है उसमें बहुत से चित्र हैं। वर्तमान में संविधान की जो कॉपी प्रकाशित हो रही है, उसमें वह इलस्ट्रेशंस नहीं हैं।’ संविधान की मूल प्रति दिखाते हुए सदन के नेता ने कहा कि अभी जो भी संविधान प्राकशित कर रहा है, उनमें यह कृतियां नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार इस बात को सुनिश्चित करेगी कि संविधान की भावनाओं के साथ प्रकाशक इसकी प्रतिलिपि प्रकाशित करें और यही कॉपी बाजार में उपलब्ध हों।’ नड्डा ने कहा कि दुख के साथ करना पड़ता है कि विषय कुछ और था विपक्ष के नेता ने राजनीति को ध्यान में रखते हुए लाभ लेने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राधामोहन दास अग्रवाल ने बाबा साहब आंबेडकर के बारे में एक शब्द नहीं बोला है। इन्होंने कहा कि आंबेडकर को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। नड्डा ने आसन से खरगे की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से बाहर निकालने का आग्रह किया। इस पर सभापति ने कहा कि वह इस पर गौर करेंगे।
भाजपा सदस्य ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने भारत के संविधान की रचना में जो भूमिका निभाई है, उसको देश कभी भूल नहीं सकता है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रायन ने सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उनके कम्प्यूटर में संविधान के 404 पन्ने हैं और इसमें भी चित्र नहीं हैं तो क्या यह भी अवैध है। इसके बाद धनखड़ ने कहा कि राधा मोहन दास अग्रवाल ने उचित मुद्दा उठाया है जिस पर विपक्ष के नेता खरगे ने आपत्ति जताई। खरगे कुछ बोलना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित अन्य विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। नड्डा ने इसके बाद कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान में जो कृतियां हैं, वे उन्हें तकलीफ देती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की संस्कृति को याद करने और आने वाली पीढ़ी को इससे वंचित रखना ही विपक्ष का एजेंडा है। धनखड ने कहा कि विपक्ष के बहिर्गमन करने से वह आश्चर्य में हैं।