डेस्क:अगर आप टैक्सेपयर हैं तो ये खबर आपके काम की हो सकती है। दरअसल, 15 फरवरी तक नए इनकम टैक्स बिल को सदन के पटल पर रखा जा सकता है। यह बिल छह दशक पुराने आयकर अधिनियम का स्थान लेगा। इस इनकम टैक्स बिल में कई अहम बदलाव हुए हैं, जिसका फायदा टैक्सपेयर्स को मिलेगा। आइए नए इनकम टैक्स बिल के बारे में जरूरी सवालों का जवाब जान लेते हैं।
लोकसभा में 536 धाराओं और 23 अध्यायों में तैयार 622 पृष्ठों वाला एक व्यवस्थित और सरलीकृत इनकम टैक्स बिल है। इसे पिछले सप्ताह मोदी सरकार के कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। ऐसा माना जा रहा है कि 15 फरवरी तक लोकसभा में बिल को पेश किया जा सकता है। उच्च सदन में पेश होने के बाद बिल पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। संसदीय समिति की इस पर सिफारिशों के बाद बिल फिर से मोदी सरकार के मंत्रिमंडल के पास जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसे दोबारा संसद में पेश किया जाएगा। इसके बाद यह इनकम टैक्स बिल कानून का रूप लेगा।
कानून बनने के बाद यह बिल छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा, जो समय के साथ और अलग-अलग संशोधनों के बाद जटिल हो गया था। प्रस्तावित नए कानून में आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित पिछले वर्ष शब्द की जगह टैक्स ईयर या कर वर्ष कर दिया गया है। इसके साथ ही असेसमेंट ईयर यानी मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान में पिछले वर्ष (2023-24) में अर्जित आय के लिए टैक्स का भुगतान निर्धारण वर्ष (2024-25) में किया जाता है। इस नये बिले में पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है। इसके साथ ही बिल के तहत केवल टैक्स ईयर लाया गया है।
मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी। हालांकि, अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के रजत मोहन ने कहा- धाराओं में यह वृद्धि कर प्रशासन के लिए एक अधिक व्यवस्थित दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें आधुनिक अनुपालन तंत्र, डिजिटल शासन और व्यवसायों एवं व्यक्तियों के लिए सुव्यवस्थित प्रावधान शामिल हैं।
आयकर अधिनियम, 1961 से एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इससे पहले, आयकर विभाग को विभिन्न प्रक्रियात्मक मामलों, टैक्स योजनाओं और अनुपालन ढांचे के लिए संसद का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं पेश करने, नौकरशाही में देरी कम करने और कर प्रशासन को अधिक गतिशील बनाने का अधिकार दिया गया है। प्रस्तावित कानून के अनुसार, सीबीडीटी अब कर प्रशासन नियमों को लागू कर सकता है, अनुपालन उपायों को पेश कर सकता है और खंड 533 के अनुसार लगातार विधायी संशोधनों की आवश्यकता के बिना डिजिटल कर निगरानी प्रणाली को लागू कर सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार जुलाई 2024 के बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। सीबीडीटी ने समीक्षा की देखरेख और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था।