डेस्क:आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता और स्वराज इंडिया पार्टी के सह-संस्थापक योगेंद्र यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली पार्टी की हार के प्रभावों को लेकर चिंता जाहिर की है। योगेंद्र यादव का मानना है कि ‘आप’ की हार से वैकल्पिक राजनीति के लिए जगह सिकुड़ जाएगी और शहर का गरीब तबका हासिए पर जा सकता है। इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे एक लेख में योगेंद्र यादव ने माना कि यह हार दशकभर शासन पर आया जनादेश है।
योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हां, ‘आप’ चुनावी हार की हकदार थी। फिर भी इसमें जश्न मनाने लायक कुछ नहीं है। वास्तव में जो कोई भी संवैधानिक लोकतंत्र के लिए खड़ा होता है उसे चिंता करनी चाहिए। मैं चिंतित हूं, इसलिए नहीं कि मैं ‘आप’ या इसके नेतृत्व का प्रशंसक हूं। जो पार्टी राजनीति बदलने आई थी उसने कुछ सालों में ही राजनीति के खेल के नियमों को स्वीकार कर लिया।’
योगेंद्र यादव ने कहा कि एक व्यक्ति में सारी ताकत, दरबारियों के गुप्त खेल, दोहरी बातें और आम कार्यकर्ताओं के तिरस्कार आदि के मामलों में आम आदमी पार्टी ने साबित किया कि अन्य दलों से उसमें कोई फर्क नहीं, जिनका स्थान वह लेना चाहती थी। यादव ने कहा कि ‘शत्रुतापूर्ण मीडिया’ ने मुख्यमंत्री के ‘शीश महल’ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, लेकिन वह ऐसा इसलिए कर सका क्योंकि यह नेतृत्व के गांधीवादी दावों के बिल्कुल उलट था।
योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे, जिन्हें 2015 में पार्टी से निकाल दिया गया था। अरविंद केजरीवाल से मतभेद के बाद योगेंद्र यादव और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण को निष्कासित कर दिया गया था।
योगेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली में जीत से भाजपा का राजनीतिक प्रभुत्व मजबूत होगा और लोकतांत्रिक संस्थान कमजोर होंगे। उन्होंने दिल्ली सरकार के कामकाज में एलजी के जरिए कथित हस्तक्षेप और आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के इस्तेमाल का भी जिक्र किया। उन्होंने बहुसंख्यकवादी राजनीति के उभार को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि कपिल मिश्रा जैसे भाजपा नेताओं की जीत से दिल्ली के मुस्लिम समुदाय की स्थिति और खराब हो सकती है।