डेस्क: भारत ने परमाणु ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 2 अरब डॉलर से अधिक राशि देने का संकल्प लिया है। सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए कानून में संशोधन करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में बिजली उत्पादन बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने की रणनीति के तहत यह घोषणा की।
2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य
भारत 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिससे करीब 6 करोड़ घरों को बिजली मिल सकेगी। यह कदम देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिए उठाया गया है। फिलहाल, भारत की 75% से अधिक बिजली कोयले से उत्पन्न होती है, जिससे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
परमाणु ऊर्जा पर संशय और चुनौतियां
हालांकि, विशेषज्ञ भारत की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर संदेह जता रहे हैं। भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र अभी भी सीमित है और इसको लेकर जनता में नकारात्मक धारणा बनी हुई है। ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु ऊर्जा एक विश्वसनीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, लेकिन इसमें सुरक्षा और रेडियोधर्मी कचरे से निपटने की गंभीर चुनौती भी है।
अमेरिका से सहयोग और संभावित समझौते
भारत की परमाणु ऊर्जा नीति को अमेरिकी समर्थन मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिकी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से परमाणु ऊर्जा सहयोग को लेकर चर्चा होने की संभावना है। अमेरिका की परमाणु कंपनियां भारत में छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टरों के विकास को लेकर निवेश कर सकती हैं।
परमाणु ऊर्जा के खिलाफ विरोध और महंगाई की चुनौती
भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन की लागत सौर ऊर्जा की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। जहां सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने में एक वर्ष से भी कम समय लगता है, वहीं परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को चालू करने में 6 साल तक का समय लग सकता है।
तमिलनाडु के कुडनकुलम और महाराष्ट्र में प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के खिलाफ स्थानीय समुदायों ने सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर विरोध किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की सबसे बड़ी चुनौती जनता को इन परियोजनाओं के लिए राजी करना होगी।
परमाणु ऊर्जा पर बढ़ती वैश्विक रुचि
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 63 परमाणु रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जो 1990 के बाद से सबसे अधिक संख्या है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेल संकट के बाद पहली बार परमाणु ऊर्जा में इतनी रुचि दिखाई दे रही है।
हालांकि, पर्यावरणविदों का कहना है कि भारत को परमाणु ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को भी बढ़ावा देना चाहिए। इनका विस्तार तेज गति से किया जा सकता है और ये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकने के लिए तत्काल समाधान प्रदान कर सकते हैं।
भारत का परमाणु ऊर्जा में निवेश बढ़ाने का फैसला दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसकी लागत, जनता की स्वीकृति और सुरक्षा संबंधी चिंताओं से निपटना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।