डेस्क:उच्चतम न्यायालय ने शीना बोरा की हत्या की आरोपी उसकी मां इंद्राणी मुखर्जी की विदेश यात्रा की अनुमति देने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी। इंद्राणी ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में यह याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने भी उसे विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी थी।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह मामले की कार्यवाही एक साल के भीतर पूरी करे।
पीठ ने कहा, ‘इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप वापस आएंगी। मुकदमा की सुनवाई अगले चरण में पहुंच चुकी है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुकदमा अभी जारी है, हम इस चरण में अनुरोध पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हम निचली अदालत को निर्देश देते हैं कि वह सुनवाई में तेजी लाए और एक साल के भीतर इसे पूरा करे।’
पीठ ने मुखर्जी को निचली अदालत में जाने की स्वतंत्रता दी। याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के वकील ने कहा था कि यह एक संवेदनशील मामला है और सुनवाई करीब आधी पूरी हो चुकी है तथा 96 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है।
पूर्व मीडिया कार्यकारी मुखर्जी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी है और मामले में अब भी 92 गवाहों से पूछताछ होनी बाकी है। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों से निचली अदालत में सुनवाई नहीं हुई और कार्यवाही पूरी होने में लंबा समय लग सकता है।
यात्रा प्रतिबंध का मामला उच्चतम न्यायालय में तब आया जब 19 जुलाई को एक विशेष अदालत ने मुखर्जी की अगले तीन महीनों में स्पेन और ब्रिटेन की 10 दिन की यात्रा के अनुरोध वाली याचिका को स्वीकार कर लिया।
सीबीआई ने विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। बंबई उच्च न्यायालय ने 27 सितंबर को विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। मुखर्जी ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
अधिवक्ता सना रईस खान के माध्यम से दायर अपनी याचिका में मुखर्जी ने कहा कि वह एक ब्रिटिश नागरिक हैं और उन्होंने स्पेन तथा अपने देश की यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया है, ताकि ‘आवश्यक परिवर्तन और संशोधन किए जा सकें और लंबित कार्य निपटाए जा सकें जो उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के बिना नहीं किए जा सकते।’
उन्होंने दलील दी कि स्पेन में सभी प्रासंगिक कार्यों और प्रशासन के लिए डिजिटल प्रमाणपत्र का सक्रिय होना आवश्यक है और इसके लिए उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।
विशेष अदालत के आदेश को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर मुखर्जी भारत से ये कार्य करना चाहें तो स्वदेश स्थित वैधानिक प्राधिकारी उन्हें स्पेन और ब्रिटेन के दूतावासों की सहायता से आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे।
बोरा की हत्या का मामला प्रकाश में आने के बाद मुखर्जी को अगस्त 2015 में गिरफ्तार किया गया था। मई 2022 में उन्हें उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी थी। मुखर्जी ने इन आरोपों से इनकार किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, बोरा (24) की कथित तौर पर मुखर्जी, उनके तत्कालीन ड्राइवर श्यामवर राय और पूर्व पति संजीव खन्ना ने अप्रैल 2012 में मुंबई में एक कार में गला घोंटकर हत्या कर दी थी। बोरा के शव को पड़ोसी रायगढ़ जिले में जंगल में जला दिया गया था। बोरा मुखर्जी और उनके पूर्व पति की संतान थी।
हत्या का मामला 2015 में तब प्रकाश में आया जब राय ने शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक अलग मामले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान कथित तौर पर इस राज से पर्दा हटाया था।
मुखर्जी के पूर्व पति पीटर मुखर्जी को भी कथित तौर पर हत्या से जुड़ी साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी। सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं।