डेस्क:सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई स्थगित कर दी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने संकेत दिया है कि नए कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 19 मार्च, 2025 को सुनवाई हो सकती है, क्योंकि इससे पहले कोई तारीख उपलब्ध नहीं है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने संकेत दिया कि समय की कमी के कारण मामले को होली के त्योहार की छुट्टी के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। हालांकि, मामले की सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई।
पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से मामले का मौखिक उल्लेख किया। भूषण ने तर्क दिया कि यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकी सुनवाई में ज्यादा समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता केवल एक घंटे में अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे। हालांकि, पीठ ने 19 मार्च से पहले सुनवाई पर सहमति नहीं जताई।
याचिकाओं में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 को चुनौती दी गई है। यह कानून सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले को दरकिनार करता है, जिसमें अनोप बरनवाल बनाम भारत संघ मामले में सीईसी और ईसी की नियुक्ति प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल करने का प्रावधान किया गया था।
2023 का कानून:
इस नए कानून के तहत चयन समिति में मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है, जिससे केंद्र सरकार को चुनाव आयोग की नियुक्तियों में प्रमुख भूमिका मिल गई। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून के तहत हाल ही में की गई मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त विवेक जोशी की नियुक्तियों को भी चुनौती दी है। प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, तब सरकार ने इस कानून के तहत नई नियुक्तियां कर दीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को सरकार को ऐसा करने से रोकने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया था।
ज्ञानेश कुमार बने पहले CEC
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को 17 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। वह 2023 के नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा, जो कि अगले लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले समाप्त होगा। वहीं, 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 2031 तक रहेगा।
सुनवाई टली
यह मामला 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध था, लेकिन सुबह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया, क्योंकि वह एक संविधान पीठ की सुनवाई में व्यस्त थे। इस पर प्रशांत भूषण ने आपत्ति जताई और कहा कि इतने महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई केवल सॉलिसिटर जनरल की अनुपस्थिति के कारण नहीं टाली जानी चाहिए। उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के 17 विधि अधिकारियों में से कोई भी सरकार की ओर से उपस्थित हो सकता था।