डेस्क:महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्री माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय को अदालत ने दो साल कैद की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें गरीबों के लिए बनाए गए फ्लैट्स को हथियाने के जुर्म में सुनाई गई है। यह पूरा मामला 1995 का है, जिसमें नासिक की एक सोसायटी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी फ्लैट बने थे। इन फ्लैट्स में से एक घर मंत्री जी ने अपने नाम करा लिया था। इसके लिए उन्होंने आय प्रमाण पत्र लगाया था, जिसमें अपनी कमाई कम दिखाई थी। दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने और फर्जी दावे के आधार पर फ्लैट लेने को लेकर उनके खिलाफ 30 साल से केस चल रहा था, जिसमें अब जाकर अदालत का फैसला आया है। हालांकि अदालत ने कृषि मंत्री माणिकाराव कोकाटे को ऊपरी अदालत जाने की अनुमति दी है।
यदि ऊपरी अदालत ने माणिकराव कोकाटे की सजा पर रोक लगा दी तो उन्हें राहत मिल जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो फिर उनका मंत्री पद और विधानसभा की सदस्यता तक खतरे में होगी। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता स्वाभाविक ही रद्द हो जाएगी। ऐसे में उन्हें ऊपरी अदालत से राहत के भरोसे रहना होगा। यदि उन्हें राहत न मिली तो राजनीतिक करियर ही खतरे में आ जाएगा। उन्हें विधायकी, मंत्री पद और रुतबा खोना पड़ेगा। इस फैसले के बाद कांग्रेस और एनसीपी-एसपी ने उन्हें पद से हटाने की मांग की है।
मंत्री माणिकराव कोकाटे और उनके भाई दोनों के ही नाम से सोसायटी में एक-एक फ्लैट बुक हो गया था। अब जज रूपाली नरवाडिया ने उपजिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वे दोनों के नाम पर जारी हुए फ्लैट्स की डील रद्द कर दें। इसके अलावा अधिकारी को अपील का समय खत्म होने तक का इंतजार करने को कहा गया है। माणिकराव कोकाटे अजित पवार के करीबी हैं और शरद पवार से अलग होने के बाद उनके ही गुट में आ गए थे। अजित पवार से करीबी के चलते ही उन्हें मंत्री पद मिला है। अब अजित पवार खेमे का कहना है कि पूरे मामले को देखा जाएगा और फिर ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। वहीं माणिकराव कोकाटे ने अदालती फैसले के बाद कहा कि यह मामला उनके ऊपर राजनीतिक साजिश के तहत थोपा गया था।
व्यक्तिगत पेशी पर अदालत पहुंचे माणिकराव कोकाटे ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक ऐंगल भी है। उन्होंने कहा कि मेरा खिलाफ राजनीतिक कारणों से केस दायर किया गया था। उन्होंने कहा, ‘यह 30 साल पुराना केस है। राजनीतिक कारणों से इसे दाखिल किया गया था। तब के विधायक और पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले ने यह केस दायर किया था। इसके बाद मेरे खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी। मैंने अब तक जजमेंट नहीं पढ़ा है। एक बार फैसले को पढ़ लेने के बाद ही मैं कोई टिप्पणी करूंगा।’