वाशिंगटन:अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को मतदाता जागरूकता के लिए अमेरिकी एजेंसी USAID से 21 मिलियन डॉलर (लगभग 180 करोड़ रुपये) की फंडिंग दी गई थी। इस रिपोर्ट ने भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस के बीच चल रही राजनीतिक जंग को नया मोड़ दे दिया है। कांग्रेस ने इस खुलासे को BJP पर हमले के लिए एक नए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसा कोई भी कार्यक्रम रिकॉर्ड में नहीं है।
वाशिंगटन पोस्ट ने ‘कैसे DOGE के एक झूठे दावे ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असल में यह फंड बांग्लादेश के लिए था। रिपोर्ट में USAID अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि अमेरिका द्वारा भारत में किसी भी चुनाव संबंधी परियोजना के लिए कोई राशि नहीं दी गई। इससे पहले, इंडियन एक्सप्रेस ने भी इसी तरह की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि 2008 के बाद से भारत को USAID से किसी भी चुनावी परियोजना के लिए कोई फंडिंग नहीं मिली है। इस रिपोर्ट के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक घमासान छिड़ गया।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी और उसके समर्थकों पर तंज कसते हुए कहा कि यह खुलासा उनके लिए “आंखें खोलने वाला” है। खेड़ा ने ट्वीट किया, “इस तथाकथित अमेरिकी फंडिंग के बारे में वाशिंगटन पोस्ट ने खुलासा कर दिया है कि ऐसा कोई कार्यक्रम मौजूद ही नहीं था और न ही कोई फंड भारत आया। बीजेपी और उसके अंध समर्थकों को अब अपने दावों पर पुनर्विचार करना चाहिए।” बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विदेशी मदद लेने का आरोप लगाया था।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एलन मस्क के नेतृत्व वाले DOGE (डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी) ने दावा किया कि भारत में “वोटर टर्नआउट बढ़ाने” के लिए 21 मिलियन डॉलर का अनुदान रद्द कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह पैसा असल में USAID द्वारा वित्त पोषित कॉन्सोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) के तहत दी गई थी, लेकिन भारत में ऐसा कोई कार्यक्रम संचालित नहीं था।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को हवा देते हुए कहा कि यह फंड 2024 लोकसभा चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए इस्तेमाल किया गया होगा। उन्होंने कहा, “हम भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों खर्च कर रहे हैं? शायद वे (बाइडेन प्रशासन) किसी और को जिताना चाहते थे। हमें भारतीय सरकार को यह बताना चाहिए।” हालांकि, वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया, “हम इस दावे को देखकर हैरान थे। हमें भारत में चुनावों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि हमने इस तरह की कोई भागीदारी नहीं की है।” एक अन्य अधिकारी ने कहा कि DOGE ने अलग-अलग कार्यक्रमों की राशि को गड़बड़ कर प्रस्तुत किया हो सकता है।
इससे पहले भारत सरकार ने इस मामले पर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को कहा, “अमेरिकी प्रशासन से आई यह जानकारी बेहद परेशान करने वाली है। हम इसकी जांच कर रहे हैं।” हालांकि, सरकार ने अभी तक विस्तृत बयान देने से परहेज किया है।