डेस्क:पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा दिल्ली जैसी तैयारी कर रही है। पार्टी इस चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल को भुनाने की कोशिश करेगी। साथ ही उन क्षेत्रों पर ज्यादा जोर देगी, जहां अभी तृणमूल के विधायक हैं। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को कमान सौंपी हुई है। पिछले चुनाव में भाजपा ने पूरे राज्य में अपनी पहचान व कार्यकर्ता खड़े कर लिए थे।
सूत्रों के अनुसार भाजपा ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कोशिश तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की है। इसलिए वह हारी सीटों पर ज्यादा मेहनत कर रही है, क्योंकि यहां तृणमूल व उसके विधायक के खिलाफ ज्यादा नाराजगी होगी।
वहीं, भाजपा लोगों के बीच बंग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा फिर से खड़ा कर रही रही है। बंगाल और बंग्लादेश से आए मुसलमानों के बीच टकराव में भाजपा स्थानीय मुसलामनों के पक्ष में है। भाजपा ने जिस तरह दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को तोड़ा, उसी तरह से वह बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के वर्ग में सेंध लगा रही है।
पिछले चुनाव में भाजपा ने ममता को हराया
बंगाल के पिछले चुनाव में भाजपा ने खुद को विकल्प के रूप में पेश कर चुनाव लड़ा था। इसका परिणाम यह हुआ कि पूरा चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा हो गया। 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस को 215 सीटें (बीते चुनाव से दो ज्यादा) सीटें मिली थी, जबकि भाजपा को 77 सीटें हासिल हुई थी। भाजपा तृणमूल कांग्रेस को तो नहीं रोक पाई लेकिन अन्य दलों का सफाया कर खुद को विकल्प के रूप में स्थापित करने में सफल रही। उसकी सीटों में 74 सीटों की बढ़ोतरी हुई थी। उसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी हरा दिया था, जो बाद में उपचुनाव जीतकर विधायक बनी।
कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला
वामपंथी दलों, माकपा, भाकपा, आरएसपी, फारवर्ड ब्लाक और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। वोट प्रतिशत को देखा जाए तो तृणमूल को 48.02 फीसद व भाजपा को 37.97 फीसद वोट मिले थे। अब भाजपा ममता बनर्जी के डेढ़ दशक के शासन के खिलाफ बने सत्ता विरोधी माहौल को भुनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के क प्रमुख नेता ने कहा कि वहां पर लड़ाई सीधी है, भाजपा जितना बढ़ेगी ममता को उतना नुकसान होगा। क्योंकि अन्य दल अब हाशिए पर हैं।