डेस्क:झारखंड विधानसभा में गुरुवार को सीएजी (कैग) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कई तरह की खामियों को उजागर किया गया है। भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने पर विभागों में अनियमितता की आशंका जाहिर की गई है। वित्तिय लेखे पर टिप्पणी में लिखा गया है कि वर्ष 2023-24 के दौरान विभागों द्वारा सहायक अनुदान के तौर पर दी गई 19125.88 करोड़ की राशि के विरुद्ध 5209 उपयोगिता प्रमाण पत्र राज्य सरकार के निकायों व प्राधिकारों के द्वारा जमा नहीं कराए गए।
सीएजी की रिपोर्ट में आपत्ति दर्ज करायी गई है कि इस राशि का व्यय किस प्रयोजन में किया गया, इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा रिपोर्ट में जिक्र है कि 42158 उपयोगिता प्रमाण पत्रों से संबंधित 114035.62 करोड़ की राशि जारी हुई थी, इसके उपयोगिता प्रमाण पत्र भी 31 मार्च 2024 तक बकाए थे। रिपोर्ट में जिक्र है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र का अधिक संख्या में लंबित रहना निधि के गलत उपयोग व अनियमितता की आशंका को बढ़ाता है।
सीएजी ने टिप्पणी की है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य के आठ विभागों ने 30 संक्षिप्त आकस्मिक विपत्रों के विरुद्ध सरकारी खातों से 26.22 करोड़ की निकासी की। रिपोर्ट में जिक्र है कि सिर्फ मार्च 2024 में ही नौ संक्षिप्त आकस्मिक विपत्र से 13.32 करोड़ की निकासी की गई। निकाली गई राशि में 21.54 करोड़ राशि से जुड़े 25 आकस्मिक विपत्र वित्तिय वर्ष के अंत तक नहीं सौंपे गए थे। रिपोर्ट के अनुसार 18011 संक्षिप्त आकस्मिक विपत्र जमा नहीं किए गए, जिसके जरिए कुल 4891.72 करोड़ की राशि की निकासी हुई।
रिपोर्ट में जिक्र है कि वर्ष 2023-24 के दौरान झारखंड सरकार के द्वारा राजस्व अनुभाग के स्थान पर पूंजीगत अनुभाग के अंतर्गत 4536.39 करोड़ का गलत बजटीय प्रावधान किया गया एवं व्यय दर्ज किया गया। इसे व्यय के उदेश्य से अवधारित किया गया। राजस्व, पूंजीगत व्यय को 4536.39 करोड़ से कम/अधिक बताया गया। इस राशि में से 4433.60 करोड़ पूंजी परिसंपत्ति के सृजन के लिए अनुदान, 36.27 करोड़ छात्रवृत्ति, नकद राहत, 50 करोड़ सहायता अनुदान तथा 16.52 करोड़ रखरखाव व मरम्मति से संबंधित हैं।
सीएजी ने पाया है कि उपलब्ध धनराशि 1395.67 करोड़ के विरुद्ध जेएमएचआईडीपीसीएल ने दवाओं और उपकरणों की खरीद पर 2016-22 के दौरान केवल 279.39 करोड़ का उपयोग किया यानी दवा व उपकरण की खरीद पर उपलब्ध राशि का महज 20 प्रतिशत ही खर्च हुआ। शेष राशि या तो वापस कर दी गई या लेजर खातों में पड़ी रही।
सीएजी ने पाया कि है मार्च 2022 तक राज्य में चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के 3,634 स्वीकृत पदों के मुकाबले 2,210 पद खाली थे, जो कुल पदों का लगभग 61 प्रतिशत है। दवा-उपकरण की खरीद पर महज 20 ही खर्च हुआ। इसके अलावा, स्टाफ नर्सों के स्वीकृत पदों 5,872 के मुकाबले 3,033 पद और पैरामेडिक्स के स्वीकृत पदों 1,080 के मुकाबले 864 पद खाली थे। जिलों को सैंपलिंग की प्राथमिक इकाई माना गया और 24 जिलों में से छह जिलों धनबाद, दुमका, गुमला, गढ़वा, सरायकेला-खरसावां और सिमडेगा को विस्तृत जांच के लिए चुना गया।