डेस्क:भारतीय अर्थव्यवस्था अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में 6.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है। दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के बीच जीडीपी की रफ्तार सुस्त थी और यह सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई थी। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 9.2 प्रतिशत थी।
हालांकि, दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुमान से कम हैं। रिजर्व बैंक का अनुमान था कि दिसंबर तिमाही में इकोनॉमी 6.8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। केंद्रीय रिजर्व बैंक ने दिसंबर की मौद्रिक नीति में यह भी अनुमान लगाया था कि जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी 7.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। अब नए आंकड़ों के बाद एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती कर सकती है। बता दें कि अप्रैल में मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक है। इस बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का अनुमान है। इससे पहले दिसंबर तिमाही में भी कई साल बाद रेपो रेट में इतनी ही कटौती की गई।
अप्रैल से जनवरी के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा ₹11.70 लाख करोड़ रहा, जो वार्षिक लक्ष्य का 74.5% है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि में 63.6% पर था। सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को घटाकर जीडीपी का 4.8% करने की है, जो पिछले वर्ष 5.6% से कम है।
जीडीपी आंकड़ों से पहले भारतीय शेयर बाजार में भूचाल मच गया। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स 1,414.33 अंक की भारी गिरावट के साथ 73,198.10 अंक पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 420.35 अंक टूटकर 22,124.70 अंक पर ठहर गया।