नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने के लिए इस वर्ष के अंत तक की समय सीमा तय की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने नई दिल्ली में मुलाकात के बाद संयुक्त बयान में इस घोषणा की।
भारत न केवल ईयू बल्कि ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों के साथ भी स्वतंत्र व्यापार समझौतों को लेकर चर्चा कर रहा है। भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, अपने व्यापार संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों में जुटा है। यह पहल ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय संघ और अन्य वैश्विक देश डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
पहले भी हो चुके हैं प्रयास
भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत पहली बार एक दशक से अधिक समय पहले शुरू हुई थी, लेकिन 2013 में वार्ता रुक गई। 2021 में दोबारा प्रयास शुरू हुए और तब से दोनों पक्ष सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करने के लिए जोर लगा रहे हैं।
व्यापार से आगे भी है भारत-ईयू साझेदारी
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा, “हमने व्यापार, तकनीक, निवेश, नवाचार, ग्रीन ग्रोथ, सुरक्षा, कौशल विकास और गतिशीलता के क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों को वर्ष के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए गए हैं। पीएम मोदी ने घोषणा की कि “आज हमने 2025 के बाद की भारत-ईयू साझेदारी के लिए एक साहसिक और महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करने का निर्णय लिया है। इसे अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया जाएगा।”
भारत-प्रशांत और अफ्रीका में सहयोग
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत और ईयू इंडो-पैसिफिक और अफ्रीका में टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए त्रिकोणीय विकास परियोजनाओं पर मिलकर काम करेंगे।
ईयू प्रमुख की प्रतिक्रिया
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे एक “महत्वाकांक्षी सौदा” बताया। उन्होंने कहा कि समझौते में ग्रीन टेक, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स, ग्रीन हाइड्रोजन और रक्षा क्षेत्र शामिल होंगे।
उन्होंने हिंद महासागर को “वैश्विक व्यापार की जीवनरेखा” बताते हुए इसके सुरक्षा महत्व को रेखांकित किया और भारत के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास को विस्तार देने पर जोर दिया।
चुनौतियां: कहां अटकी है बात?
वर्तमान में यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2023-24 में भारत-ईयू का द्विपक्षीय व्यापार 137 अरब डॉलर को पार कर गया, जो 2014 के बाद 90% की वृद्धि है।
हालांकि, जब भी भारत और ईयू ने व्यापक व्यापार समझौते पर चर्चा की है, कई बाधाएं सामने आई हैं।
- भारत का रुख:
- भारत कुछ उद्योगों में टैरिफ (आयात शुल्क) घटाने के पक्ष में नहीं है।
- भारतीय पेशेवरों के लिए यूरोपीय वीजा नियमों में ढील चाहता है।
- भारतीय फार्मा कंपनियों को यूरोप में अधिक बाजार पहुंच देने की मांग कर रहा है।
- टेक्सटाइल, गारमेंट, लेदर उत्पादों पर यूरोप के आयात शुल्क कम करने की मांग कर रहा है।
- 20-35% कार्बन टैक्स को खारिज करता है, जो स्टील, सीमेंट और एल्युमिनियम जैसे उद्योगों पर लगाया जाता है।
- ईयू का रुख:
- यूरोप चाहता है कि भारत कार, बाइक, व्हिस्की और वाइन पर टैरिफ कम करे।
- यूरोपीय कंपनियों को भारतीय बाजार में अधिक पहुंच मिले।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC)
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) पर भी चर्चा की। यह महत्वपूर्ण परियोजना भारत को मध्य पूर्व (पश्चिम एशिया) होते हुए यूरोप से जोड़ेगी।
पीएम मोदी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि IMEEC वैश्विक व्यापार, सतत विकास और समृद्धि को गति देगा।” भारत और यूरोपीय संघ ने इस परियोजना को प्राथमिकता देने पर सहमति जताई है ताकि व्यापार में लागत कम की जा सके और कनेक्टिविटी बेहतर हो।