रीवा होम्स, शिणाय, कच्छ (गुजरात) . नेपाल, भूटान सहित भारत के 23 राज्यों की हजारों किलोमीटर पदयात्रा कर परमार्थ के परम लक्ष्य के साथ जन मानस के आध्यात्मिक उन्नयन का कार्य करते हुए अणुव्रत अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी वर्तमान युग में नैतिकता मूल्यों की अनूठी अलख जगा रहे है। कच्छ क्षेत्र में विस्तृत विचरण के अंतर्गत कई विशिष्ट कार्यक्रमों के साथ आचार्य प्रवर का प्रवास हर गांव–नगर को लाभान्वित कर रहा है। इसी श्रृंखला में गांधीधाम में अब गुरुदेव का कुछ दिनों का प्रवास निर्धारित है। पूर्व में सन् 2013 में आचार्य प्रवर का प्रथम बार गांधीधाम को प्रवास प्राप्त हुआ था वहीं पुनः तेरापंथ अधिशास्ता का प्रवास प्राप्त कर श्रद्धालुओं की चिरप्रतीक्षित मनोकामना पूर्ण हो रही है। विहार के क्रम में आज प्रातः परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी ने रॉयल पॉम से मंगल विहार किया और लगभग 11 किमी विहार कर शीणाय ग्राम के रीवा होम्स में प्रवास हेतु पधारे।
मंगल प्रवचन में आगम वाणी फरमाते हुए तत्त्व ज्ञान का विवेचन करते हुए गुरुदेव ने कहा – जिससे कर्मों का बंधन होता है, कर्म मल की आय होती है वह कषाय होते है। बंध के दो प्रकार है एक तो सांप्रदायिक बंध जो सकषाय हो व सब संसारी जीव इस बंध के साथ जुड़े रहते है दूसरा ईर्यापथिक बंध – जो पहले समय में बंधा और दूसरे समय में भोगा, झड़ जाता है। इस प्रकार इसका कालमान सिर्फ दो समय का होता है। जिस प्रकार सूखा मिट्टी का गोला दीवार पर फेंका जाए तो वह गिर कर झड़ जाता है। योगी केवली गुणस्थान में बंध होता ही नहीं है, क्योंकि न वहां कषाय होता है न योग। यह आत्मा की शुद्ध व सिद्ध अवस्था होती है।
आचार्य श्री ने आगे व्याख्या करते हुए बताया कि चौदह गुणस्थानों को हम तीन श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं – पहला से दसवां, ग्यारह से तेरहवां व चौदहवां। पहला से दसवें में सांप्रदायिक बंध, ग्यारह से तेरहवें में ईर्यापथिक बंध व चौदहवां बंध स्थिति होता है। आठ आत्माओं में से द्रव्य, उपयोग व दर्शन ये तीन आत्माएं हर जीव के होती है। मोक्ष के लिए मुख्य चीज है अकषाय की स्थिति। हमारी आत्मा प्रदेशों के अनुसार संकुचित होती है व फैल जाती है। जितना बड़ा लोक है आत्मा उतनी ही फैल सकती है। उसके प्रदेश लोकाकाश के बराबर होते हैं। व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़े एवं कषायों के शमन का प्रयास करे।
स्वागत के क्रम में रीवा होम्स के डायरेक्टर श्री हेमंत भट्टी ने गुरुदेव का अभिनंदन किया।