लंदन:भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को लंदन के चथम हाउस थिंक टैंक में आयोजित एक सत्र “भारत की वृद्धि और दुनिया में भूमिका” में कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिप्रेक्ष्य में डॉलर के उपयोग पर अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने कश्मीर को लेकर भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, आर्थिक उपायों और उच्च मतदान प्रतिशत के साथ संपन्न हुए चुनावों का उल्लेख किया। उन्होंने पीओके का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब भारत को इसी का इंतजार है, जो चोरी से पाकिस्तान ने अपने पास रखा है।
कश्मीर पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, “कश्मीर में हमने अधिकांश समस्याओं का समाधान किया है। मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 को हटाना एक पहला कदम था। इसके बाद कश्मीर में विकास, आर्थिक गतिविधि और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम था। तीसरा कदम था चुनावों का आयोजन, जिसमें बहुत उच्च मतदान हुआ। मुझे लगता है कि हम जिस चीज का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का चुराया हुआ हिस्सा वापस मिलना है। व हिस्सा फिलहाल पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। जब यह हो जाएगा तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कश्मीर की समस्या का समाधान हो जाएगा।”
भारत के हित में ट्रंप
जयशंकर ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन में अमेरिकी प्रशासन बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है, जो भारत के हितों के अनुकूल है। उन्होंने कहा, “हम राष्ट्रपति और प्रशासन को देख रहे हैं जो हमारी भाषा में बहुध्रुवीयता की दिशा में बढ़ रहे हैं और यह भारत के लिए अनुकूल है।”
‘टैरिफ वार पर भी बोले जयशंकर
टैरिफ के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल वर्तमान में वाशिंगटन में हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई बातचीत के बाद द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा, “हमने इस पर एक बहुत खुली बातचीत की और उस बातचीत का परिणाम यह था कि हम दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए।”
चीन के साथ संबंध पर क्या बोले जयशंकर?
जयशंकर ने चीन के साथ भारत के रिश्तों, रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर की भूमिका पर भी विचार व्यक्त किए। चीन के संदर्भ में उन्होंने अक्टूबर 2024 के बाद हुई कुछ घटनाओं का जिक्र किया, जिसमें तिब्बत में कैलाश पर्वत यात्रा मार्ग का उद्घाटन भी शामिल था। उन्होंने कहा, “हमारा चीन के साथ एक बहुत ही अद्वितीय रिश्ता है, क्योंकि हम दोनों ही दुनिया के एकमात्र दो ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या दो बिलियन से अधिक । हम एक ऐसा रिश्ता चाहते हैं जिसमें हमारे हितों का सम्मान किया जाए, संवेदनशीलताओं को पहचाना जाए और यह दोनों के लिए काम करे।”