डेस्क:तेलंगाना में 20 मार्च को विधान परिषद के लिए चुनाव होने हैं। कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनमें फिल्म अभिनेत्री विजयाशांति के साथ-साथ अद्दांकी दयाकर और केथवथ शंकर नाईक भी शामिल हैं। भारत राष्ट्र समिति (BRS) के चार और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के एक विधान पार्षद का कार्यकाल पूरा होने के कारण पांच सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने अपने चुनावी गठबंधन समझौते के तहत सहयोगी भाकपा को एक सीट की पेशकश की है। भाकपा ने नेल्लिकंती सत्यम को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
सोमवार को कांग्रेस-भाकपा के उम्मीदवारों ने नामांकन किया। सोमवार नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था। बीआरएस ने श्रवण दसोजू को अपना उम्मीदवार बनाया है। तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 65 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीआरएस के पास 38 विधायक है। हालांकि उसके 10 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर कांग्रेस के चार और बीआरएस के एक सीट जीतने की संभावना है। इस MLC चुनाव में जिस एक चेहरे और नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह हैं विजयशांति।
कौन हैं विजयाशांति और ‘लेडी अमिताभ’ क्यों कहलाती हैं?
विजयाशांति एक मशहूर अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हिन्दी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में करीब 180 फिल्मों में शानदार अभिनय किया है। फिल्मों में पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी कई भूमिकाओं के लिए विजयाशांति प्रशंसकों के बीच ‘लेडी अमिताभ’ के रूप में जानी जाती रही हैं। विजयाशांति को जितनी फिल्मों में सफलता मिली, उतना राजनीति में सफलता नहीं मिल सकी। हालांकि, वह बीआरएस (तब टीआरएस) की ओर से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने तेलंगाना राज्य के गठन के लिए एक अलग पार्टी भी बनाई थी, लेकिन बाद में बीआरएस समेत कई दलों में शामिल रहीं।
कांग्रेस-भाजपा समेत कई दलों से रहा नाता
विजयाशांति ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में भाजपा के साथ की थीं। हालांकि, 1996 में वह जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK के साथ हो चलीं। उस वक्त वह जयललिता की खास और उनकी पार्टी के स्टार प्रचारकों में से एक थीं। बाद में फिर उन्होंने भाजपा में वापसी कर ली। भाजपा में उन्होंने महिला शाखा की महासचिव के रूप में काम किया।
सोनिया के खिलाफ ठोकी थी ताल
1999 के लोकसभा चुनावों में जब सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव संयुक्त आंध्र प्रदेश की कडप्पा लोकसभा सीट से लड़ने का फैसला किया, तब विजयाशांति ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में सोनिया गांधी के खिलाफ ताल ठोकने का ऐलान कर दिया और भाजपा ने उन्हें कडप्पा से मैदान में उतार भी दिया। हालांकि, सोनिया गांधी ने अपना फैसला बदल दिया और पड़ोसी राज्य कर्नाटक के बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। तब विजयाशांति ने कडप्पा से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।
तेलंगाना के लिए बनाई अपनी पार्टी
2005 तक, विजयाशांति ने अपनी ‘तल्ली तेलंगाना पार्टी’ का गठन किया और तेलंगाना राज्य के लिए लड़ने की कसम खाई। हालांकि, जनाधार की कमी की वजह से उन्होंने अपनी पार्टी का विलय केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी TRS (अब भारत राष्ट्र समिति) में कर दिया और 2009 का लोकसभा चुनाव TRS में मेडक सीट से सफलतापूर्वक लड़ा। BRS के एक नेता के मुताबिक, “उन्हें आगे बढ़कर नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। वह तेलंगाना आंदोलन में महिलाओं को आकर्षित करने वाली में एक प्रमुख व्यक्ति थीं।” 2011 में वह केसीआर के साथ टीआरएस के उन विधायकों और सांसदों में शामिल थीं, जिन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के लिए सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए। 2013 में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
PM नरेंद्र मोदी को कहा था आतंकी
इसके बाद वह कांग्रेस में चली गईं। कांग्रेस ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों में मेडक सीट से उम्मीदवार बनाया लेकिन टीआरएस की लहर में हार गईं। इसके बाद वह राजनीतिक गुमनामी में चली गईं। 2019 के चुनाव के समय विजयाशांति फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गईं। तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी की चुनाव अभियान समिति का सलाहकार नियुक्त किया। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने रंगारेड्डी में एक सार्वजनिक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना एक आतंकवादी से कर विवाद खड़ा कर दिया था। हालांकि, इस घटना के सालभर बाद ही भाजपा ने उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए और वह भाजपा में वापस आ गईं।
ओबीसी-दलित वोट बैंक पर नजर
2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, विजयाशांति फिर से कांग्रेस में शामिल हो गईं। वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुईं। अब पार्टी ने उन्हें एमएलसी का टिकट दिया है, जबकि ऐसी खबरें हैं कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ उनके अच्छे संबंध नहीं हैं। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि पार्टी ने विजयाशांति को इसलिए चुना क्योंकि वह एक महिला और पिछड़े वर्ग के चेहरे को अवसर देना चाहती थी। पार्टी के दूसरे उम्मीदवार अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले अद्दांकी दयाकर कांग्रेस के मुखर नेता हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति से आने वाले शंकर नाईक कई वर्षों से कांग्रेस के वफादार कार्यकर्ता हैं। इसी बहाने पार्टी ओबीसी और दलित वोटों को साधना चाहती है।